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बोरे में मरीज, स्ट्रेचर पर सिस्टम: इस तस्वीर को देखकर नीतीश सरकार को शर्म आएगी, मंगल पांडेय ही हैं इस जिले के प्रभारी मंत्री

बोरे में मरीज, स्ट्रेचर पर सिस्टम: इस तस्वीर को देखकर नीतीश सरकार को शर्म आएगी, मंगल पांडेय ही हैं इस जिले के प्रभारी मंत्री

ARA : बिहार में सरकार हमेशा स्वास्थ्य व्यवस्था का गुणगान करते नहीं थकती है लेकिन इसकी वास्तविकता से जुड़ी तस्वीरें अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होकर चर्चा का विषय बन जाती हैं. ताजा मामला भोजपुर जिले के आरा सदर अस्पताल का है जहां ब्रेन हैमरेज से पीड़ित एक बुजुर्ग महिला मरीज को स्ट्रेचर के अभाव में इलाज के लिए परिजनों को अस्पताल में इधर-उधर भटकना पड़ा. अस्पताल प्रबंधन द्वारा जब मरीज को स्ट्रेचर नहीं मुहैया कराया गया तो मजबूरी में परिजन पॉलीथीन शीट में महिला को किसी तरह लपेट कर एक वार्ड से दूसरे वार्ड का चक्कर लगाने लगे. 


परिजनों ने बताया कि अस्पतालकर्मियों के मनमाना रवैये की वजह से उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ी. वृद्ध मरीज को न तो अस्पताल से एम्बुलेंस मिली और न ही स्ट्रेचर. उल्टे उन्हें अस्पतालकर्मियों की ओर से स्ट्रेचर कहीं और व्यस्त होने का हवाला देते हुए उन्हें इंतजार करते रहने का सुझाव जरूर मिल गया कि इलाज कराना है तो वो कुछ देर रूके नहीं तो चाहे मरीज को टांग कर ले जा सकते हैं. 



मरीज के परिजनों ने बताया कि हमने अस्पतालकर्मियों से मरीज को ले जाने के लिए स्ट्रेचर की मांग की तो वो लोग बोले कि अभी स्ट्रेचर खाली नहीं है. कुछ देर इंतजार करिये. मरीज की हालत ज्यादा खराब थी इस लिए हम लोग जैसे-तैसे उनको इलाज के लिए ले गए. जबकि सदर अस्पताल के मैनेजर ने कहा कि स्ट्रेचर व्यस्त होने के कारण मरीज के परिजनों को कुछ देर इंतजार करने के लिए बोला गया था. लेकिन बिना बताये ही परिजन मरीज को किसी तरह टांग कर इलाज करवाने के लिए निकल गए. 


बताया जा रहा है कि आरा सदर अस्पताल में इलाज कराने आई बीमार वृद्ध महिला तरारी प्रखंड के बिहटा गांव निवासी फुलझारों देवी हैं. उनके परिजनों ने बताया कि अचानक उनकी तबियत खराब हो गई और जब डॉक्टर से उनको दिखाया गया तो उनका ब्रेन हैमरेज होने की बात बताई गई. जिसके बाद हम लोग उनका इलाज कराने के लिए आरा सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड लाये.



जहां डॉक्टर ने उन्हें सीटी स्कैन कराने की बात कही. जब वो मरीज को लेकर सीटी स्कैन कराने के लिए अस्पतालकर्मियों से स्ट्रेचर की मांग की तो वहां मौजूद कर्मियों ने स्ट्रेचर कहीं और जगह व्यस्त होने की बात कह कर इंतजार करने को कहा. लेकिन मरीज की तबियत ज्यादा खराब देख परिजन किसी तरह पॉलीथीन शीट का सहारा लेते हुए उन्हें उसमें लपेट मरीज को इलाज के लिए गए. 


जब पूरे घटना क्रम में अस्पताल प्रबंधन से पूछा गया तो हॉस्पिटल मैनेजर कौशल किशोर दुबे गोल मटोल जवाब देते हुए कहा कि जो भी स्ट्रैचर है वो पोस्टमार्टम रूम में गया था और जो स्ट्रेचर था वो कहीं वार्ड में गया था. इसलिए समय पर उन लोगों को स्ट्रेचर उप्लब्ध नहीं हो पाया. जबकि अस्पतालकर्मियों द्वारा उन्हें कुछ देर रूकने की बात कही गई थी. लेकिन वो लोग नहीं माने और वो अपने तरीके से मरीज को लेकर इलाज के लिए चले गए. 


गौरतलब है कि ये कोई पहला मामला नहीं है. सदर अस्पताल के हर विभाग में स्ट्रेचर की कमियां बराबर देखी जाती हैं, जिस कारण कई बार मरीज के परिजनों ने सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड सहित अन्य वार्डों में जमकर बवाल भी काटा है. बावजूद इसके अस्पताल प्रशासन की ओर से परेशानी दूर नहीं की जाती है.