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1st Bihar Published by: Updated Mon, 11 Oct 2021 02:34:55 PM IST
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PATNA : इस साल मार्च महीने में बिहार विधानसभा में जो हुआ, वो शायद ही यहां के लोग कभी भूल पाएंगे. 23 मार्च 2021 को बिहार विधानसभा के सत्र इ दौरान पुलिस ने लात-जूते और डंडे से विधायकों की पिटाई की. ये क्यों हुआ. ऐसी नौबत क्यों आई कि बिहार विधानसभा में बाहर की पुलिस को बुलाकर विधायकों को जबरन सदन से बाहर निकाला गया, ये हर किसी को मालूम है. जिस बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक का विरोध कर विपक्षी विधायक पुलिसवालों से पिट गए. आज उसी एक्ट के नियम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है.
दरअसल बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में बेतिया के एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा ने एक पत्र लिखा है. इस पत्र में पुलिस अधीक्षक ने कहा है कि मुख्यालय की ओर से जारी आदेशों का अनुपलान नहीं कर रहा है. एसपी ने लिखा है कि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस एक्ट के मुताबिक महिला कांस्टेबल या पुरुष सिपाही को ट्रेनिंग के बाद 5 साल सशस्त्र पुलिस में सेवा देनी है. लेकिन ऐसा नहीं हो है. ट्रेनिंग के बाद उन्हें किसी ना किसी थाना में या पुलिस ऑफिस में अटैच कर दिया जा रहा है, जो बेहद गलत है.
एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि 2015 बैच के बाद बहाल हुए सभी महिला और पुरुष सिपाहियों की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद 5 साल तक सशस्त्र बल में योगदान देने को लेकर पुलिस मुख्यालय के तरफ से जारी आदेश का अनुपलान नही किया जा रहा है. महिला और पुरुष सिपाहियों की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद अगले 5 साल तक सशस्त्र बल में योगदान करवाया जाये. पुलिस मुख्यालय की तरफ से जारी आदेश का अनुपलान करवाया जाए.
गौरतलब हो कि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक सदन से पास होने के महज दस दिनों के अंदर पुलिस मुख्यालय ने अपने सभी विंग, सभी जिला को यह आदेश जारी कर दिया था कि 2015 के बाद बिहार पुलिस सिपाही के स्तर पर जो भी भर्तियां होगी उनके प्रशिक्षण के बाद चाहे वो महिला और पुरूष हो सभी के प्रशिक्षण पूरी होने के बाद अगले पांच वर्ष तक बिहार सशस्त्र पुलिस बल में अपना योगदान देंगे, मगर देखा जा रहा है कि इस आदेश की सभी जिलों में अवहेलना लगातार हो रही है.
आपको बता दें कि इसी विधेयक का विरोध करने पर बिहार विधानसभा में पुलिस ने विधायकों को पीटा था. विपक्ष के विधायक इस विधेयक के विरोध में थे. दरअसल नीतीश कुमार ने बिहार मिलिट्री पुलिस यानि बीएमपी को विशेष सशस्त्र पुलिस में तब्दील करने का विधेयक लाया था. इसमें पुलिस को बिना वारंट गिरफ्तारी के साथ साथ किसी की भी तलाशी लेने का पॉवर दिया गया है.