बिहार के दो आईपीएस अधिकारियों का निलंबन बढा, भ्रष्टाचार के आरोपी एक और IPS का सस्पेंशन समाप्त हुआ

बिहार के दो आईपीएस अधिकारियों का निलंबन बढा, भ्रष्टाचार के आरोपी एक और IPS का सस्पेंशन समाप्त हुआ

PATNA: भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा जैसे गंभीर मामलों के आरोपी बिहार के 3 आईपीएस अधिकारियों में से 2 का निलंबन राज्य सरकार ने 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है। वहीं, बीमारी की हवाला देने वाले एक अन्य आईपीएस अधिकारी का निलंबन समाप्त कर दिया गया है. जबकि इस अधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं और सरकार की जांच अभी चल ही रही है।


बिहार सरकार के गृह विभाग की ओर जारी अधिसूचना के मुताबिक 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार और 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी दयाशंकर की निलंबन अवधि 6 महीने और बढा दी गयी है. वहीं, 2007 बैच के आईपीएस अधिकारी शफीउल हक का निलंबन समाप्त कर दिया है. शफीउल हक पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, लेकिन राज्य सरकार ने उनकी बीमारी का हवाला देते हुए निलंबन समाप्त कर दिया है और उन्हें राज्य पुलिस मुख्यालय में योगदान देने को कहा है।


बता दें कि गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमारके खिलाफ  आर्थिक अपराध इकाई ने पिछले साल 15 अक्टूबर को आर्थिक अपराध थाना काण्ड संख्या- 33/2022 दर्ज किया था. उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद पिछले साल 18 अक्टूबर को आदित्य कुमार को सस्पेंड कर दिया गया था. आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार पर आरोप है कि उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज मामले को खत्म करने के लिए फर्जीवाड़ा किया और तत्कालीन डीजीपी को पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम पर फर्जी कॉल करवाया. इस मामले में अभिषेक अग्रवाल नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसने आदित्य कुमार के लिए चीफ जस्टिस बन कर फर्जी कॉल किया था. पुलिस रिकार्ड में आदित्य कुमार फरार हैं. उन्होंने कोर्ट में अपनी अग्रिम जमानत के लिए अर्जी लगायी थी, जिसे खारिज कर दिया जा चुका है।


बिहार सरकार ने कहा है कि आदित्य कुमार के निलंबन की 60 दिनों की अवधि 15 अप्रैल को समाप्त हो रही है. इस बीच उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जांच में अब तक उपलब्ध साक्ष्य, प्रदर्श, डिजिटल साक्ष्य के आधार पर इस कांड में आदित्य कुमार की भूमिका संदिग्ध पायी गयी है और उनके द्वारा इस कांड के मुख्य अभियुक्त अभिषेक अग्रवाल उर्फ अभिषेक भोपालक के साथ षडयंत्र रच कर वरीय पदाधिकारी को दिग्भ्रमित करके अपने उद्देश्य की पूर्ति करने का प्रयास किया गया है. आदित्य कुमार द्वारा अभी तक निलंबन की अवधि में निर्धारित कार्यालय में योगदान नहीं दिया गया है, जो सरकारी आदेश की अवहेलना है. राज्य सरकार ने कहा है कि आरोपित पदाधिकारी द्वारा साक्ष्यों से छेड़-छाड़ किये जाने औऱ अनुसंधान की प्रक्रिया को प्रभावित किये जाने की संभावना है. इस प्रकार आदित्य कुमार के निलंबन को बनाये रखने का पर्याप्त औचित्य और आधार है. राज्य सरकार ने आदित्य कुमार की निलंबन अवधि को 12 अक्टूबर 2023 तक बढ़ा दिया है।


पूर्णिया के पूर्व एसपी का भी निलंबन बढ़ा

उधर बिहार सरकार की विशेष निगरानी इकाई ने पूर्णिया के तत्कालीन एसपी दया शंकर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत 10 अक्टूबर 2022 को केस दर्ज किया था. इसके बाद उन्हें 18 अक्टूबर 2022 को निलंबित कर दिया गया था. राज्य सरकार ने कहा है कि दयाशंकर के खिलाफ दर्ज मामले की जांच की जा रही है. सरकार ने  दयाशंकर के निलंबन अवधि की समीक्षा के लिए 3 अप्रैल को बैठक की थी, जिसमें पाया गया कि उनके खिलाफ मामले की जांच हो रही है. आरोपित पदाधिकारी द्वारा साक्ष्यों से छेड़-छाड़ किये जाने एवं अनुसंधान की प्रक्रिया को प्रभावित किये जाने की संभावना है. ऐसे में दया शंकर के निलंबन को बनाये रखने का पर्याप्त औचित्य और आधार है. सरकार ने दयाशंकर के निलंबन की अवधि को 12 अक्टूबर 2023 तक बढा दिया है।


भ्रष्टाचार के आरोपी शफीउल हक का निलंबन समाप्त

लेकिन राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के एक और आरोपी अधिकारी शफीउल हक का निलंबन समाप्त कर दिया है. मुंगेर के तत्कालीन डीआईजी के खिलाफ आर्थिक अपराध इकाई की जाँच में पाया गया था कि शफीउल हक द्वारा सहायक अवर पुलिस निरीक्षक, मो० उमरान और एक निजी व्यक्ति के माध्यम से मुंगेर क्षेत्र के ज्यादातर कनीय पुलिस पदाधिकारियों और कर्मियों से अवैध राशि की उगाही करायी जा रही थी.  जाँच के क्रम में यह भी पाया गया था कि वसूली करने वाले सहायक पुलिस अवर निरीक्षक श्री मो० उमरान के गलत काम की जानकारी होने के बावजूद शफीउल हक ने कोई कार्रवाई नहीं की थी. सरकार ने 1 दिसंबर 2021 को ही शफीउल को सस्पेंड कर दिया था और उनके निलंबन की अवधि बढ़ायी जा रही थी।


राज्य सरकार ने कहा है कि शफीउल हक ने आवेदन देकर निलंबन से मुक्त करने का अनुरोध किया  है. इस आवेदन शफीउल हक ने कहा है कि तनाव और शर्मिंदगी के चलते वे गलते चले गये हैं और अब एम्पूलरी कार्सिनोमा के मरीज हो गये है, जो फेफड़े, गर्दन और पेल्विक रीजन तक फैल गया है.  20 दिन के इलाज में 5 लाख से ज्यादा खर्च हो चुके हैं. निलंबन की हालत में बिल निकालने में भी काफी दिक्कत है एक साल से ज्यादा से आधी सैलरी पर गुजारा कर रहे हैं. चारों तरफ से आर्थिक संकट है औक आर्थिक स्थिति बिलकुल चरमरा गई है।


सरकरार ने कहा है कि निलंबन समीक्षा समिति द्वारा पाया गया कि श्री हक गंभीर कदाचार के आरोप में निलंबित हैं.  उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही है, जिसमें कई पुलिस पदाधिकारी सहित अन्य गवाह हैं. उनका परीक्षण होना बाकी  है. फिर भी शफीउक हक द्वारा दिये गये आवेदन के आलोक में उन्हें निलंबन से मुक्त कर दिया गया है. शफीउल हक को पुलिस मुख्यालय में योगदान देने को कहा गया है।