बिहार का एक अजूबा सरकारी हॉस्पिटल, जहां मुर्दे को भी लगाया जा रहा है कोरोना वेक्सिन

बिहार का एक अजूबा सरकारी हॉस्पिटल, जहां मुर्दे को भी लगाया जा रहा है कोरोना वेक्सिन

BEGUSARAI : बेगूसराय में एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग का बड़ा लापरवाही सामने आया है जहां मरे हुए मुर्दे भी कोरोना टिका वैक्सीन लगा रहे हैं। जिसके जान आप दंग रह जाएंगे। सुशासन बाबू की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था यह आलम है कि अब मुर्दे भी कोरोना वैक्सीन का टीका लगा रहे हैं। बताते चलें कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वीरपुर, पीएचसी का मामला है। विगत 25 नवंबर को वीरपुर पीएससी द्वारा किसान भवन वीरपुर में  कोरोना टीकाकरण कैंप लगाया गया।


इस कैंप में प्रखंड क्षेत्र के गेन्हरपुर पंचायत स्थित खरमौली गांव के वार्ड 9 निवासी राम उदगार ठाकुर की पत्नी और संजय कुमार की मां लालो देवी को भी कोरोना टीका लगाया गया। जबकि उनकी मृत्यु विगत 19 सितंबर को ही हो गई थी। उक्त तिथि का  मृत्यु प्रमाण पत्र भी बिहार सरकार के योजना एवं विकास विभाग द्वारा निर्गत किया जा चुका है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी कोरोना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट में दावा किया गया है कि लालो देवी अपने मौत के करीब 2 महीने बाद 25 नवंबर 2021 को किसान भवन वीरपुर में कोरोना का सेकंड डोज ली है। उनके परिजनों ने बताया कि लालो देवी कोरोना का सेकेंड डोज नहीं ली थी। दूसरा डोज लेने से पूर्व ही उनका निधन हो चुका था। लोगों में चर्चा है कि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इतनी बड़ी  लापरवाही कैसे हो गई? एक ओर जहां विगत दिनों  टीका की कमी से आमलोग टीकाकरण केंद्रों पर  भटकते नजर आए। 


वहीं दूसरी ओर मुर्दों को भी टीका लगाने  की इजाजत किसने दी? लोग चाहते हैं कि  स्वास्थ्य विभाग  स्पष्ट करे कि कहीं इस केंद्र पर कोरोना टीका का मुर्दों पर कोई नया प्रयोग तो नहीं किया जा रहा है? यदि ऐसा है तो इस हॉस्पिटल को सरकार रिसर्च सेंटर घोषित करे। यदि यह लापरवाही है तो इसके लिए जिम्मेवार लोगों पर अविलंब कारवाई करे। लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि कहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकार के सामने टीकाकरण आंकड़े को बढ़ा चढ़ा कर पेश करने का कोई बड़ा स्कैम तो नहीं है। 


बताया जाता है कि कोरोना टीकाकरण कैंप में मुर्दे भी कोरोना वेक्सिन लेने पहुंच रहे हैं। जब मुर्दे प्रकृति के सारे नियमों को तोड़ कोरोना वेक्सिन लेने सरकारी हॉस्पिटल पहुंच गए तो भला सरकारी स्वास्थ्य कर्मी उसे कैसे बैरंग वापस लौटा देते। उन्होंने भी एक कदम आगे बढ़ाया और मुर्दे को भी कोरोना टीका लगा ही दिया।अब देखना है इस बड़ी लापरवाही के पीछे जो जिम्मेवार है, उस पर क्या और कब तक  कार्रवाई होती  है? या होती है या ऐसे ही सिमट कर रह जाएगी।