DESK : हर साल मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। यह भगवद्गीता के प्राकट्य का पर्व है, जब भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्धक्षेत्र कुरुक्षेत्र में अर्जुन को उपदेश दिया था। एक पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर अर्जुन को भगवद्गीता का दिव्य उपदेश दिया था।
यह उपदेश अर्जुन की मानसिक दुविधा को दूर करने और उसे धर्म और कर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने के लिए दिया गया था। श्रीकृष्ण ने महाभारत की रणभूमि में अर्जुन को आत्मा, धर्म, कर्म, भक्ति, ज्ञान, और मोक्ष के गूढ़ रहस्यों के बारे में समझाया था, जिसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित संदेश दिए गए थे।
कर्म करो और फल की चिंता मत करो- श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि व्यक्ति को बिना फल की अपेक्षा किए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। आत्मा अमर है- श्रीकृष्ण ने कहा था कि शरीर नश्वर है, लेकिन आत्मा अविनाशी और शाश्वत है।समर्पण और भक्ति का महत्व- इस दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवान पर पूर्ण विश्वास रखने और मोक्ष के लिए समर्पण का महत्व समझाया था। योग और ध्यान का महत्व- श्रीकृष्ण ने कहा था कि मन की स्थिरता और आत्मा की शुद्धि के लिए योग का अभ्यास जरूरी है।
आपको बताते चलें कि गीता जयंती के दिन गीता के श्लोकों का पाठ करना और उनके अर्थ पर चिंतन करना शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की आराधना और ध्यान से मन को शांति मिलती है। इसके साथ ही मंदिरों में गीता जयंती के उपलक्ष्य में प्रवचन, कीर्तन और कथा का आयोजन किया जाता है।
इस दिन जरूरतमंदों को दान करना और सेवा कार्य करना पुण्यदायक माना जाता है।