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बेगानी शादी में मुकेश सहनी दीवाना? बोचहां उप चुनाव परिणाम पर बेवजह मिठाई बांट रहे हैं VIP पार्टी के चीफ

1st Bihar Published by: Updated Sat, 16 Apr 2022 05:15:17 PM IST

बेगानी शादी में मुकेश सहनी दीवाना? बोचहां उप चुनाव परिणाम पर बेवजह मिठाई बांट रहे हैं VIP पार्टी के चीफ

- फ़ोटो

PATNA: इसे आप बिहार ही नहीं बल्कि ये पूरे देश की सियासत की अजूबा घटना मान सकते हैं. विधानसभा की एक सीट पर उप चुनाव हुआ, वहां जो पार्टी तीसरे नंबर पर रही वह मिठाई बांट रही है. बिहार की बोचहां विधानसभा सीट पर उप चुनाव हुआ. आज रिजल्ट आया,जिसमें वीआईपी पार्टी की उम्मीदवार गीता देवी तीसरे नंबर पर रही. जैसे-तैसे जमानत बची. लेकिन पटना में वीआईपी पार्टी के चीफ मुकेश सहनी मिठाई बांट रहे थे। 


बेवजह खुश हो रहे हैं मुकेश सहनी

पहले ये बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले की बोचहां सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में वीआईपी पार्टी के विधायक मुसाफिर पासवान जीते थे. उनका निधन हो गया तो सीट खाली हो गयी जिसके कारण उप चुनाव हुआ. लेकिन इस बीच मुकेश सहनी बीजेपी से काफी पंगा ले चुके थे. लिहाजा बीजेपी ने न सिर्फ बोचहां में अपना उम्मीदवार दे दिया बल्कि मुकेश सहनी की पार्टी के सारे विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया. मुकेश सहनी को मंत्री पद से बर्खास्त भी कर दिया गया. इसी बीच मुकेश सहनी ने बोचहां उप चुनाव में राजद के कद्दावर नेता औऱ 9 बार विधायक रहे रमई राम की बेटी गीता कुमारी को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बना दिया।


मुकेश सहनी के कारण नहीं हारी भाजपा

आज बोचहां उप चुनाव का रिजल्ट आया. इसमें बीजेपी की करारी शिकस्त हुई और राजद के उम्मीदवार भारी वोटों से चुनाव जीत गये. मुकेश सहनी की पार्टी की उम्मीदवार गीता कुमारी तीसरे नंबर पर रही. मुकेश सहनी इसलिए मिठाई बांट रहे हैं कि उन्होंने बीजेपी को हरा दिया. लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहते हैं. बोचहां सीट पर राजद के उम्मीदवार को 36 हजार 653 वोटों से जीत हासिल हुई. इस सीट पर वीआईपी कैंडिडेट को 29 हजार 279 वोट मिले. यानि अगर गीता कुमारी को मिले सारे वोट बीजेपी के खाते में भी डाल दिया जाये तो भी राजद के उम्मीदवार अमर पासवान लगभग 7400 वोटों से जीत जाते. हालांकि चुनावी राजनीति में कभी किसी पार्टी या कैंडिडेट का सारा वोट दूसरे को ट्रांसफर नहीं होता. लेकिन बोचहां में ऐसी भी परिस्थिति होती तो भी राजद की जीत होती।


वीआईपी को क्यों आये वोट

हालांकि मुकेश सहनी के समर्थक ये भी कह रहे हैं कि 29 हजार से ज्यादा वोट लाकर उन्होंने अपनी ताकत दिखा दी है. लेकिन सवाल ये है कि क्या 29 हजार वोट मुकेश सहनी के नाम पर मिले. स्थानीय लोग इसे नकारते हैं. स्थानीय पत्रकार राजेश कुमार के मुताबिक रमई राम बोचहां क्षेत्र से 9 दफे विधायक रह चुके हैं. बोचहां में हर जाति-वर्ग के वोटरों पर उनकी कुछ न कुछ पकड़ जरूर है. अपनी बेटी के लिए वोट जुटाने की सारा कमान खुद रमई राम थाम रखे थे. 


बोचहां के एक वोटर ने बताया कि चुनाव के दौरान रमई राम उनके गांव में आकर बैठ गये. वे जिद पर अड गये कि जब तक गांव के सारे लोग उनकी बेटी को वोट देने का संकल्प नहीं लेंगे तब तक वे वहां उठेंगे ही नहीं. लगभग पांच घंटे तक रमई राम वहीं बैठे रहे. गांव के ज्यादातर लोगों से रमई राम का पुराना संबंध रहा है. लिहाजा उन्हें मजबूर होकर रमई राम को ये भरोसा दिलाना पड़ा कि उनका वोट गीता कुमारी को ही जायेगा तभी रमई राम वहां से उठे। बोचहां सीट की समझ रखने वाले बता रहे हैं कि रमई राम अपने दम पर अच्छा खासा वोट लाने की ताकत रखते हैं. वैसे भी वे इस दफे लोगों को कह रहे थे कि आखिरी बार वोट मांगने आये हैं. इसका इमोशनल असर पड़ रहा था. 29 हजार वोट इसी को दर्शा रहे हैं।


मुकेश सहनी की उम्मीदवार तो राजद को हरा रही थी दिलचस्प बात ये भी है कि बोचहां में मुकेश सहनी की उम्मीदवार गीता कुमारी और रमई राम तेजस्वी यादव को सबक सिखाने के नाम पर वोट मांग रहे थे. रमई राम और उनकी पुत्री सारे गांव में जाकर ये कह रही थी कि वे तेजस्वी को मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे. वीआईपी का पूरा प्रचार ही राजद के विरोध पर टिका था. लेकिन फिर भी राजद उम्मीदवार की भारी जीत हुई।


आगे की राह कठिन

लेकिन इन तमाम तथ्यों के बावजूद मिठाई बांट रहे मुकेश सहनी के लिए सियासत में आगे की राह कठिन है. बिहार की सियासत में अब दो ही मुख्य धुरी रह गये हैं- बीजेपी और राजद. बीजेपी मुकेश सहनी से पूरी तरह पल्ला झाड़ चुकी है. 2020 में भरी प्रेस कांफ्रेंस तेजस्वी को धोखेबाज-गद्दार बताने वाले मुकेश सहनी से राजद भी सतर्क हो कर ही चल रही है. बोचहां उप चुनाव में भी मुकेश सहनी के उम्मीदवार ने तेजस्वी को गालियां दी उससे राजद के भीतर भारी रिएक्शन है. जाहिर है अगर मुकेश सहनी ये सोंच रहे हों कि उन्हें भविष्य में राजद गठबंधन में जगह मिल जायेगी तो ये काफी मुश्किल होगा. ऐसे में मुकेश सहनी की भविष्य की राजनीति अधर में ही लटकी नजर आ रही है।