आंखों की रोशनी जाने के मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

आंखों की रोशनी जाने के मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

MUZAFFARPUR: मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद आंखों की रोशनी जाने के मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी हैं। इस मामले में अब तक राज्य सरकार ने क्या कार्रवाई की इसकी जानकारी भी स्वास्थ्य मंत्रालय ने मांगी है। 


गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद करीब 17 मरीजों की आंखें निकालनी पड़ी थी। इस मामले पर प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से भी संज्ञान लिया गया। पीएमओ ने स्वास्थ्य विभाग से इस मामले में पूरी रिपोर्ट तलब की। बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी रविन्द्र नाथ चौधरी को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया। मानवाधिकार के अधिवक्ता एसके झा की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को मामले के संबंध में उचित कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा गया था। जिसके बाद पीएमओ ने संज्ञान लेते हुए यह कार्रवाई की।


मुजफ्फरपुर के आयुक्त, जिलाधिकारी, सिविल सर्जन समेत 23 लोगों पर इस मामले को लेकर परिवाद दायर किया गया। मुजफ्फरपुर में जो केस दर्ज किया गया है उसमें अस्पताल के सचिव और डॉक्टर दोनों को आरोपी बनाया गया। वही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को सील कर दिया गया। मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड को लेकर गुरुवार को बिहार विधान परिषद में भी खूब हंगामा हुआ था। जिसके बाद सरकार ने पीड़ितों का मुफ्त इलाज पटना के आईजीआईएमएस हॉस्पिटल में कराने का फैसला लिया।


मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते अपनी आंखें गंवाने वाले मरीजों के मामले के निरीक्षण के लिए लोजपा सांसद चिराग पासवान ने प्रतिनिधि मंडल की एक टीम का गठन किया। जिसमें रेणु कुशवाहा, सत्यानन्द शर्मा, डॉ. शाहनवाज़ अहमद कैफ़ी और संजय पासवान शामिल हैं। चिराग पासवान ने अपनी टीम को निर्देश दिया है कि यह सभी मुजफ्फरपुर जाकर मामले की विस्तृत जानकारी लें और निरीक्षण कर मामले की रिपोर्ट केंद्रीय कार्यालय को सौंपे। 


चिराग पासवान ने कहा कि यह मामला बेहद संवेदनशील है. इसमें डॉक्टरों की लापरवाही से कई लोगों ने अपनी आंखें गंवा दी है.चिराग पासवान ने पहले भी ट्वीट कर इस पूरे मामले में नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराया था. चिराग पासवान ने कहा था कि ‘अपनी आंखों की जांच दिल्ली के डॉक्टर से करवाते है नीतीश जी और आम जनता के लिए आंखफोड़वा अस्पताल ? सभी पीड़ितों की गुनहगार है बिहार सरकार 16 साल से मुख्यमंत्री हैं और स्वास्थ्य की ऐसी बदतर सुविधा ? जवाब दे नीतीश जी की जिनकी आंखें चली गई वह अब क्या करें ?’


बता दें कि इससे पहले मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल में मोतियाबिंद आपरेशन के बाद मरीजों के संक्रमण के मामले की जांच करने शनिवार को प्रदेश राजद ने भी अपनी छह सदस्यीय टीम जांच के लिए भेजी थी। टीम के संयोजक विधायक राजवंशी महतो ने कहा कि अस्पताल की लापरवाही से गरीबों को अपनी आंख गंवानी पड़ी है, इसके लिए सरकार जिम्मेवार है. सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त है।.