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Badrinath Dham: आज रात शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे बद्रीनाथ का कपाट, स्त्री भेष धारण करेंगे पुजारी

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 17 Nov 2024 03:01:01 PM IST

Badrinath Dham: आज रात शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे बद्रीनाथ का कपाट, स्त्री भेष धारण करेंगे पुजारी

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DESK : गंगोत्री, यमुनोत्री व केदारनाथ के कपाट बंद होने के बाद अब भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। जानकारी के मुताबिक आज यानी रविवार रात नौ बजकर सात मिनट पर धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इस बार 14 लाख 20 हजार से अधिक यात्री भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर चुके हैं।


वहीं, बदरीनाथ धाम के कपाट आज रात्रि नौ बजकर सात मिनट पर शीतकाल के लिए बंद होना है। बंद होने के उत्सव को यादगार बनाने के लिए मंदिर को रंग-विरंगे फूलों से सजाया गया है। बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की परंपरा के अनुसार रावल अमरनाथ नंबूदरी स्त्री भेष धारण कर माता लक्ष्मी को श्री बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में विराजमान करते हैं। 


बताया जाता है कि पुजारी स्त्री भेष इसलिए धारण करते हैं कि लक्ष्मी जी की सखी के रुप में उन्हें गर्भगृह तक लाया जा सके। मान्यता है कि शीतकाल में बदरीनाथ धाम में देवताओं की ओर से मुख्य अर्चक नारद जी होते हैं। बदरीनाथ जी के कपाट बंद होने की पंच पूजाएं रावल अमरनाथ नंबूदरी, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट द्वारा संपन्न कराई गईं।


जानकारी हो कि मंदिर बंद करने की एक सप्ताह लंबी प्रक्रिया 13 नवंबर से शुरू हुई, जब श्री गणेश मंदिर के कपाट बंद किए गए। इसके बाद आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद हुए। यह प्रक्रियाएं पंच पूजा का हिस्सा होती हैं, जिसमें पूरे मंदिर परिसर को लंबे शीतकाल के लिए तैयार किया जाता है। शुक्रवार को पंच पूजा के तहत महत्वपूर्ण ‘खताग पूजा’ पूरी हुई। इसके बाद माता लक्ष्मी के मंदिर में कढ़ाई भोग का प्रसाद चढ़ाकर भगवान बद्रीनाथ के गर्भगृह में सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना की गई।


इधर, केदारनाथ के रक्षक देवता भकुंटा भैरवनाथ के कपाट 29 अक्टूबर को बंद कर दिए गए। यह बंद होने की प्रक्रिया दशहरा के आसपास होती है और शीतकाल के दौरान मंदिरों और उनके आसपास के क्षेत्रों को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है। यह मंदिर अगले साल अप्रैल या मई में खुलेंगे और 2025 की तीर्थयात्रा के लिए तैयार होंगे।