PATNA : सीबीआई के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी अनंत कुमार ने मंगलवार को 31 वर्ष पहले हुए फर्जीवाड़े के मामले में अपना फैसला सुनाया है. मिली जानकारी के मुताबिक फर्जीवाड़े का यह मामला पिछले 31 वर्ष से सीबीआई कोर्ट पटना में चल रहा था. इस पुराने मामले का स्पीड़ी ट्रायल के तहत निपटारा किया गया. इस कांड के गवाहों के बयान और उपलब्ध सबूतों के आधार सीबीआई की विशेष कोर्ट ने आरोपित तारकेश्वर नाथ मन्ना को फर्जीवाड़ा करने का दोषी पाते हुए तीन वर्ष कैद व दस हजार रुपया जुर्माना की सजा सुनाई है.
आपको बता दे कि सजा के इस फैसले के खिलाफ अपील दायर कर चुनौती देने के लिए सीबीआई कोर्ट ने आरोपित तारकेश्वर नाथ मन्ना को औपबंधिक जमानत पर रिहा भी कर दिया. सीबीआई ने वर्ष 1990 में आरोपित तारकेश्वर नाथ मन्ना के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी का एक आपराधिक मामला दर्ज किया था. आरोप था कि तारकेश्वर नाथ मन्ना ने अनुसूचित जाति का फर्जी प्रमाण पत्र बना कर बरौनी स्थित खेल संस्था में नौकरी हासिल की थी.
बताया जा रहा है कि इस मामले में सीबीआई ने आरोपित के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था. इसके बाद सीबीआई ने इस कांड के अभियोजन गवाहों को पेश किया. इसके बाद इस मामले की सुनवाई चलती रही. बाद में सीबीआई के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी ने पटना हाईकोर्ट के पुराने मामले का स्पीडी ट्रायल कर जल्दी निपटारा वाले आदेश के तहत इस कांड की सुनवाई की और अपना फैसला सुनाया है.