DESK: बीते दिनों महाराष्ट्र में एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने भगवान राम को मांसाहारी बताया था। उनका कहना था कि राम जंगल में शिकार करते थे। एनसीपी नेता के इस बयान के सामने आने के बाद पुणे बीजेपी अध्यक्ष धीरज घाटे ने जितेंद्र आव्हाड के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करायी थी। जितेंद्र के खिलाफ बीजेपी ने प्रदर्शन भी किया था। जिसके बाद एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड ने माफी भी मांगी थी।
कहा था कि कभी-कभी गलती हो जाती है। इस मुद्दे को तूल नहीं देना चाहिए। लेकिन इस बार उन्होंने फिर विवादित बयान दिया है। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर इस बार उन्होंने कहा है कि 22 जनवरी का राम के जीवन से क्या संबंध हैं? क्या 22 जनवरी को रामनवमी है क्या? शरद पवार गुट के एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने आगे कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए भेजे जा रहे निमंत्रण पत्र सामाजिक रूप से समावेशी होने चाहिए।
एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड ने नागपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए पत्रकारों से पूछा कि क्या 22 जनवरी को रामनवमी है? अयोध्या में मंदिर का काम अभी पूरा नहीं हुआ है लेकिन अभी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है। चुनाव से पहले महंगाई, बेरोजगारी जैसे वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाया जा रहा है। इन तमाम मुद्दों पर कोई बात नहीं हो रही है।
उन्होंने आगे कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए भेजे गये निमंत्रण पत्र से जातिगत पूर्वाग्रह की बू आती है। उन्होंने इस दौरान बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर का जिक्र करते हुए कहा कि बाबा साहेब ने नासिक के प्रसिद्ध कालाराम मंदिर से छुआछुत वाली जाति व्यवस्था को चुनौती दी थी। जितेंद्र आव्हाड ने अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन पर कहा कि इस समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को क्यों नहीं बुलाया गया?