पीड़िताओं के बयान दर्ज होने के बाद दिल्ली पुलिस ने तुरंत चैतन्यानंद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली थी। लेकिन एफआईआर के बाद से ही वह फरार हो गया और गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। चैतन्यानंद ने अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने सख्त टिप्पणी के साथ खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा था कि आरोप बेहद गंभीर हैं और इस मामले में पुलिस को आरोपी से सीधे पूछताछ करनी ही होगी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तारी से बचने के लिए चैतन्यानंद लगातार ठिकाने बदल रहा था। दिल्ली पुलिस की विशेष टीम ने तकनीकी निगरानी और गुप्त सूचनाओं के आधार पर आखिरकार आगरा से उसे गिरफ्तार किया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अब उसकी भूमिका और अन्य संभावित पीड़िताओं की पहचान के लिए जांच को आगे बढ़ाया जाएगा। इस सनसनीखेज मामले ने न सिर्फ संस्थान में पढ़ने वाले छात्रों-छात्राओं बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कैसे एक तथाकथित धार्मिक और शैक्षणिक पद पर बैठे व्यक्ति ने लंबे समय तक छात्राओं का शोषण किया और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी।
पुलिस ने बताया कि प्रारंभिक जांच में कई अहम साक्ष्य मिले हैं, जिनके आधार पर यह साबित होता है कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं। जांच अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जरूरत पड़ी तो अन्य शहरों में जाकर भी जांच की जाएगी। वहीं, पीड़िताओं और उनके परिवारों ने पुलिस की इस कार्रवाई पर राहत जताई है और न्याय की उम्मीद जताई है।
दिल्ली पुलिस ने आश्वासन दिया है कि मामले की जांच निष्पक्ष और तेज गति से की जाएगी ताकि पीड़िताओं को जल्द से जल्द न्याय मिल सके। चैतन्यानंद को अदालत में पेश किया जाएगा, जहां पुलिस उसकी कस्टडी मांग सकती है ताकि उससे गहराई से पूछताछ की जा सके।यह मामला फिर से इस बात को उजागर करता है कि शिक्षा और धर्म की आड़ में अपराध करने वाले कितने खतरनाक हो सकते हैं। अब देखने वाली बात होगी कि न्यायालय इस पर क्या रुख अपनाता है और पीड़िताओं को कब तक न्याय मिलता है।