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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 29 May 2025 10:17:33 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
China-Pakistan: पाकिस्तान की आर्थिक तंगी के बीच चीन ने जून 2025 तक 3.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त कर्ज देने का ऐलान किया है। यह कर्ज चीनी मुद्रा युआन में दिया जाएगा, और इसकी शर्त यह है कि पाकिस्तान इस राशि का उपयोग केवल चीनी सामान खरीदने या पहले के चीनी कर्ज को चुकाने के लिए करेगा। यह वही बात हो गई कि दोस्त को पैसे उधार देकर उससे मस्त पार्टी ले लो।
चीन ने पाकिस्तान की मदद का यह आश्वासन हाल के बैठकों में दिया, जिसमें मार्च से जून 2025 तक परिपक्व होने वाले कर्जों के पुनर्वित्तपोषण पर चर्चा हुई। इस कर्ज में 2.1 बिलियन डॉलर तीन चीनी वाणिज्यिक बैंकों से आएगा, और इसे तीन साल तक बढ़ाया गया है। इसके अलावा, पाकिस्तान ने मार्च-अप्रैल 2025 में इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना को 1.3 बिलियन डॉलर का कर्ज चुकाया था, जिसे अब युआन में पुनर्वित्त किया जाएगा। यह कर्ज पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को 10 बिलियन डॉलर से ऊपर रखने में मदद करेगा, जो वर्तमान में 11.4 बिलियन डॉलर है।
पाकिस्तान ने पहले ही 4.3 बिलियन डॉलर की चीनी व्यापार सुविधा का उपयोग कर लिया है, और अब उसने 10 बिलियन युआन अतिरिक्त कर्ज की माँग की थी, जिसे चीन ने ठुकरा दिया था। इस बार 3.7 बिलियन डॉलर का कर्ज युआन में देने का फैसला चीन की अमेरिकी डॉलर से अर्थव्यवस्था को अलग करने की रणनीति का हिस्सा है। युआन में कर्ज देने से चीन अपनी मुद्रा को वैश्विक व्यापार में बढ़ावा देना चाहता है, जबकि पाकिस्तान की मजबूरी का फायदा उठाकर उसे अपनी शर्तों पर बाँध रहा है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था आजकल गंभीर संकट से जूझ रही है। विश्व बैंक के अनुसार, चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा द्विपक्षीय लेनदार है, जिसके पास 29 बिलियन डॉलर का कर्ज बकाया है। 2025 के वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान को 22 बिलियन डॉलर से अधिक का बाहरी कर्ज चुकाना है, जिसमें 13 बिलियन डॉलर द्विपक्षीय जमा शामिल हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार कम होने और 30% से अधिक मुद्रास्फीति के कारण पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के 7 बिलियन डॉलर के बेलआउट पर निर्भर है। हाल ही में IMF ने 1 बिलियन डॉलर की किस्त मंजूर की, लेकिन चीनी कर्ज की शर्तें पाकिस्तान की आर्थिक स्वतंत्रता को सीमित कर रही हैं।
वहीं, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा के तहत दी गई 65 बिलियन डॉलर की परियोजनाएँ, जैसे ग्वादर बंदरगाह और ऊर्जा संयंत्र, पाकिस्तान के कर्ज के बोझ को और बढ़ा रही हैं। चीनी कर्ज पर 3.7% की ब्याज दर, जो पेरिस क्लब की तुलना में अधिक है, और अपारदर्शी शर्तें, पाकिस्तान को कर्ज के जाल में फँसा रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन इस कर्ज का उपयोग न केवल आर्थिक बल्कि रणनीतिक और सैन्य लाभ के लिए भी करता है, खासकर भारत के खिलाफ।