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Success Story: कौन हैं IAS मित्ताली सेठी? जिन्होंने अपने बच्चों का सरकारी स्कूल में कराया दाखिला, जानिए...

Success Story: महाराष्ट्र के नंदूरबार जिले की कलेक्टर मित्ताली ने हाल ही में अपने दो बच्चों का दाखिला जिला परिषद् के स्कूल में कराया है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 19 Sep 2025 03:26:46 PM IST

Success Story

सफलता की कहानी - फ़ोटो GOOGLE

Success Story: जब किसी काम को ठान लिया जाए, तो मेहनत और लगन से मंजिल जरूर हासिल की जा सकती है। यह सच साबित किया है महाराष्ट्र कैडर की युवा आईएएस अधिकारी मित्ताली सेठी ने। महाराष्ट्र के नंदूरबार जिले की कलेक्टर मित्ताली ने हाल ही में अपने दो बच्चों का दाखिला जिला परिषद् के स्कूल में कराया है। यह कदम इसलिए खास है क्योंकि उन्होंने खुद अपने बच्चों को स्कूल लेकर पहुंचना चुना, जो उनके प्रशासनिक दृष्टिकोण और व्यक्तिगत जुड़ाव की झलक देता है।


मित्ताली सेठी की इस पहल को सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन मिल रहा है। वे महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल जिले में प्रशासन को एक नए, प्रभावी और पारदर्शी तरीके से संचालित कर रही हैं। नंदूरबार जिला गुजरात की सीमा से लगा हुआ है और यहां की जनता की भाषा में अधिकांश छात्र आदिवासी अहिराणी भाषा बोलते हैं। मित्ताली के इस फैसले को समाज के विभिन्न वर्गों से सराहा जा रहा है।


मित्ताली सेठी चंद्रपुर जिले में भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। पेशे से डॉक्टर रह चुकी मित्ताली ने 2017 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा तीसरे प्रयास में 56वीं रैंक प्राप्त की। यह सफलता उनकी निरंतर मेहनत, आत्मविश्वास और समर्पण का परिणाम थी। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि शुरुआत में उन्हें आईएएस की जानकारी भी नहीं थी और उन्होंने कभी परीक्षा की मानसिकता से अखबार पढ़ना शुरू नहीं किया था।


उनकी प्रेरणा की कहानी गढ़चिरौली से शुरू होती है, जहां उन्होंने एक युवा शिविर में भाग लिया था। वहां उन्हें विकास क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और पेशेवरों से मिलकर प्रशासनिक सेवा में करियर बनाने की प्रेरणा मिली। एक दोस्त ने उन्हें सिविल सेवा के बारे में बताया और उन्होंने बिना किसी कोचिंग के, पांडिचेरी में अपनी नौकरी के साथ तैयारी शुरू कर दी। दो बार असफलता के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और ऑनलाइन संसाधनों, टेस्ट सीरीज और मॉक इंटरव्यू की मदद से तीसरे प्रयास में सफलता हासिल की।


मित्ताली का मानना है कि आईएएस बनने का उद्देश्य केवल परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में बदलाव लाना और लोगों से जुड़ना है। वे युवाओं को सलाह देती हैं कि केवल अंक और परीक्षा की दौड़ में न लगें, बल्कि छोटे-छोटे, सार्थक कार्यों में खुशी खोजें, सीखते रहें और योगदान दें। उनका यह भी कहना है कि सफलता का कोई एक निश्चित रास्ता नहीं होता, हर व्यक्ति की यात्रा अनोखी और सार्थक हो सकती है।


मित्ताली पंजाब के जालंधर में जन्मी और पली-बढ़ी हैं। उन्होंने अमृतसर से डेंटल साइंस में बीडीएस की डिग्री प्राप्त की और फिर चेन्नई से ऑर्थोडॉन्टिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की। गढ़चिरौली जाना उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण टर्निंग प्वाइंट रहा, जिसने उनकी सोच और करियर की दिशा दोनों बदल दी।


मित्ताली सेठी की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो चुनौतियों से हार मानने के बजाय कड़ी मेहनत और लगन से अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। वे यह संदेश भी देती हैं कि हर व्यक्ति की मेहनत और संघर्ष का अपना महत्व होता है, और सही दृष्टिकोण के साथ कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।