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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 21 Jan 2025 07:40:48 AM IST
Driving Rules: - फ़ोटो Driving Rules:
Driving Rules: दुनिया के विभिन्न देशों में ड्राइविंग सीट की दिशा एक दिलचस्प और महत्वपूर्ण पहलू है, जो केवल एक डिजाइन का मामला नहीं है, बल्कि इसका गहरा संबंध इतिहास, परंपराओं और कानूनों से है। अधिकांश देशों में यह सवाल है कि ड्राइविंग सीट गाड़ी के दाईं ओर होगी या बाईं ओर, और इस दिशा को तय करने वाले विभिन्न कारक समय के साथ बदलते रहे हैं। यह जानना दिलचस्प है कि ड्राइविंग सीट का स्थान कैसे निर्धारित हुआ और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में इसे किस प्रकार अपनाया गया।
ड्राइविंग सीट का इतिहास
ड्राइविंग सीट की दिशा का इतिहास ब्रिटिश शासन से जुड़ा हुआ है। ब्रिटेन ने अपने उपनिवेशों में सड़क पर बाईं ओर चलने का नियम लागू किया था, जो आज भी कई देशों में कायम है। विशेषकर भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों में यह नियम अब भी लागू है। ब्रिटेन में घोड़ों और गाड़ियों के समय से ही बाईं ओर चलने की परंपरा थी, जिससे ड्राइवर को सामने से आ रहे यात्री या घोड़े को बेहतर तरीके से देख पाते थे। समय के साथ, यह परंपरा वाहन संचालन में बदल गई और आज भी इन देशों में बाईं ओर ड्राइविंग की परंपरा कायम है।
बाईं ओर ड्राइविंग करने वाले देश
दुनिया के लगभग 76 देशों में सड़क पर बाईं ओर ड्राइविंग होती है। इनमें प्रमुख रूप से भारत, ब्रिटेन, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, सिंगापुर और कई अन्य देश शामिल हैं। इन देशों में ड्राइविंग सीट गाड़ी के दाईं ओर होती है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि चालक को विपरीत दिशा से आने वाले ट्रैफिक को स्पष्ट रूप से देख सकें, जिससे दुर्घटनाओं के जोखिम को कम किया जा सके।
दाईं ओर ड्राइविंग करने वाले देश
दूसरी ओर, दुनिया के अधिकांश देशों में सड़क पर दाईं ओर ड्राइविंग होती है, जिसमें अमेरिका, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, ब्राजील और अन्य कई प्रमुख देश शामिल हैं। इन देशों में गाड़ी की ड्राइविंग सीट बाईं तरफ होती है। यह परंपरा महाद्वीपीय यूरोप और अमेरिका में विकसित हुई थी, जहां घोड़े और गाड़ियों को नियंत्रित करना आसान होता था, और उस समय दाईं ओर चलने का लाभ था।
ड्राइविंग दिशा का निर्धारण
किसी भी देश में ड्राइविंग दिशा का निर्धारण वहां के कानूनों के आधार पर होता है, जो मुख्यत: स्थानीय इतिहास, भूगोल और तकनीकी जरूरतों के आधार पर बनाए जाते हैं। विभिन्न देशों में ड्राइविंग दिशा और सीट की स्थिति की शुरुआत एक ऐतिहासिक जरूरत थी, जो समय के साथ विकसित हुई। ब्रिटिश साम्राज्य के समय, ब्रिटेन ने अपनी सड़क पर बाईं ओर चलने की परंपरा स्थापित की, और यह कई उपनिवेशों में अपनाई गई, जबकि अन्य देशों में अलग-अलग इतिहास और जरूरतों के आधार पर दाईं ओर ड्राइविंग को स्वीकार किया गया।
क्या कभी होगा एक समान नियम?
आजकल, ग्लोबलाइजेशन और व्यापारिक साझेदारियों के कारण यह उम्मीद की जाती थी कि सभी देशों में एक समान ड्राइविंग दिशा हो। हालांकि, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कारणों से यह संभव नहीं हो पाया। जबकि तकनीकी विकास और वैश्विक परिवहन में सुधार हो रहा है, ड्राइविंग सीट के नियमों में एकरूपता लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयास अभी भी सीमित हैं। हालांकि, स्वचालित और सेल्फ-ड्राइविंग कारों के आने से यह बहस थोड़ी कम हो गई है, क्योंकि इन कारों में ड्राइवर की जरूरत नहीं होती, और इसके चलते सीट की दिशा का महत्व कम हो सकता है।
आज के समय में, विभिन्न देशों में ड्राइविंग दिशा और सीट की स्थिति एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर बन गई है, जो सदियों से विकसित हुई है। ब्रिटिश उपनिवेशों के प्रभाव से लेकर यूरोपीय और अमेरिकी परंपराओं तक, यह व्यवस्था विश्वभर में विविधतापूर्ण है। ग्लोबलाइजेशन के बावजूद, यह असमानता कायम है, और यह प्रतीत होता है कि निकट भविष्य में यह स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा। लेकिन स्वचालित वाहनों के विकास के साथ, यह सवाल अब उतना महत्वपूर्ण नहीं रह गया है, जितना पहले हुआ करता था।