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Bihar Education News : बिहार में आंगनबाड़ी से पढ़े बच्चों को स्कूल में सीधे इस क्लास में मिलेगा एडमिशन, नर्सरी से यूकेजी तक शिक्षा अब मान्य

बिहार में अब आंगनबाड़ी केंद्रों से पढ़ाई पूरी करने वाले बच्चे सीधे स्कूल की पहली कक्षा में प्रवेश ले सकेंगे। ECCE प्रमाण पत्र और विशेष आईडी से बच्चों की शिक्षा यात्रा सुनिश्चित होगी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 03 Dec 2025 09:08:45 AM IST

Bihar Education News : बिहार में आंगनबाड़ी से पढ़े बच्चों को स्कूल में सीधे इस क्लास में मिलेगा एडमिशन, नर्सरी से यूकेजी तक शिक्षा अब मान्य

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Bihar Education News : बिहार की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा और अहम बदलाव सामने आया है, जो राज्य के बाल विकास और प्रारंभिक शिक्षा को लेकर नई दिशा की ओर इशारा करता है। राज्य सरकार ने अब यह सुनिश्चित किया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों (Anganwadi Centers) से पढ़ाई पूरी करने वाले बच्चे सीधे किसी भी स्कूल में पहले कक्षा में प्रवेश ले सकेंगे। इसके लिए बच्चों को एक प्रमाण पत्र (EC-Certificate) भी दिया जाएगा, जिसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के माध्यम से राज्य स्तर के निगम को सौंपा जाएगा। इस कदम से न केवल बच्चों के स्कूल में प्रवेश की प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि शिक्षा की निरंतरता भी सुनिश्चित होगी।


आंगनबाड़ी में नर्सरी से यूकेजी तक शिक्षा:

बिहार के 15 हज़ार आंगनबाड़ी केंद्रों में अब नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी की पढ़ाई मान्य कर दी गई है। वर्ष 2025-26 से सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में तीन से छह साल तक के बच्चों के लिए नर्सरी से यूकेजी तक की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। इसके लिए महिला एवं बाल विकास निगम ने विशेष पाठ्यक्रम भी तैयार किया है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के लिए तैयार करना और उन्हें आगे की पढ़ाई में सहजता प्रदान करना है।


EC-Certificate का महत्व:

आगामी वर्ष 2026 में आंगनबाड़ी केंद्रों से पढ़ाई पूरी करने वाले बच्चों को ECCE (Early Childhood Care and Education) प्रमाण पत्र दिया जाएगा। यह प्रमाण पत्र विशेष रूप से 5 से 6 साल के बच्चों को प्रदान किया जाएगा, जो आंगनबाड़ी के यूकेजी (Upper Kindergarten) में पढ़ रहे हैं। प्रमाण पत्र में प्रत्येक बच्चे के लिए एक अद्वितीय 10 अंकों की आईडी भी होगी।


आईडी संरचना इस प्रकार होगी:


पहले चार अंक – आंगनबाड़ी केंद्र का कोड।


अगले चार अंक – बच्चे की अपार आईडी के चार अंक।


अंतिम दो अंक – प्रमाण पत्र बनने का वर्ष।


इस आईडी के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि बच्चा किस वर्ष और किस आंगनबाड़ी केंद्र से पढ़ाई पूरी कर चुका है। यह व्यवस्था बच्चों के रिकॉर्ड को ट्रैक करने और उनकी शिक्षा यात्रा की स्पष्ट जानकारी प्रदान करने में मददगार साबित होगी।


सरकारी निर्देश और प्रक्रिया:

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए सभी समेकित बाल विकास सेवाओं (Integrated Child Development Services - ICDS) निदेशालयों को पत्र लिखकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के अनुसार, सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में नर्सरी से यूकेजी तक की पढ़ाई के लिए मानकीकृत पाठ्यक्रम लागू करना अनिवार्य है। इसके साथ ही बच्चों को प्रमाण पत्र प्रदान करने और उनकी जानकारी डिजिटल रूप में राज्य स्तर के निगम को उपलब्ध कराने की प्रक्रिया भी सुनिश्चित की जाएगी।


राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत पहल:

यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत लिया गया है, जिसके अनुसार आंगनबाड़ी केंद्रों में प्ले स्कूल प्रारंभ किया गया था। नीति के तहत बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है। अब बिहार में निजी विद्यालयों की तरह ही आंगनबाड़ी केंद्रों में नर्सरी से यूकेजी तक की पढ़ाई मान्य हो गई है। यह कदम राज्य के शिक्षा ढांचे में सुधार और प्रारंभिक शिक्षा को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।


शिक्षा में सुधार और बच्चों का लाभ:

इस नई व्यवस्था के तहत बच्चे सीधे स्कूल की पहली कक्षा में प्रवेश ले सकेंगे, जिससे स्कूल प्रवेश की प्रक्रिया में समय की बचत होगी और बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा में निरंतरता प्राप्त होगी। प्रमाण पत्र और आईडी सिस्टम के माध्यम से बच्चों के शैक्षणिक रिकॉर्ड का ट्रैक रखना भी आसान होगा। इससे सरकारी और निजी दोनों प्रकार के स्कूलों में बच्चों का प्रवेश सहज और पारदर्शी होगा।


आंगनबाड़ी केंद्रों में नर्सरी से यूकेजी तक शिक्षा का विस्तार न केवल बच्चों की मानसिक और शारीरिक विकास में मदद करेगा, बल्कि उन्हें स्कूल की पढ़ाई के लिए तैयार भी करेगा। इसके साथ ही माता-पिता को भी यह भरोसा मिलेगा कि उनके बच्चे को शिक्षा का सही और मानकीकृत प्रारंभिक आधार प्राप्त हो रहा है।