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नवादा चुनाव: दागी व तथाकथित शिक्षाविद् अब 'विधायक' बनने को बेचैन...खादी पहनते ही 'पाप' ने फिर पकड़ी गर्दन, दाग देख छोटे दल भी अपनाने को तैयार नहीं...

नवादा का एक तथाकथित शिक्षाविद्, जिस पर शिक्षा के मंदिर में बच्ची से गंदा काम कराने का आरोप लगा था, अब विधायक बनने को बेचैन है। थैली भारी है लेकिन हर दल ने उसे दरवाजे से लौटा दिया। सवाल है कि क्या जनसुराज ऐसे दागदार चेहरे को अपनाएगा?

1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Thu, 25 Sep 2025 12:28:43 PM IST

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प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google

Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने के लिए दागियों में गजब की बेचैनी है. कोई चेहरा बदलकर चुनाव मैदान में उतरना चाहता है तो कोई चेहरा छुपाकर. हर वो दागी जो अवैध तरीके से पैसा कमा लिया, चुनावी वैतरणी पार कर माननीय बनने को बेचैन है. जिनकी थैली भारी है, वो ज्य़ादा ही परेशान हैं. आज हम बात नवादा के एक तथाकथित समाजसेवी की करेंगे. जिस तथाकथित समाजसेवी की चर्चा करेंगे, उन्हें कुछ लोग कथित शिक्षाविद् भी कहते हैं. वैसे इनकी कहानी लंबी है, लेकिन संक्षेप में आपको जानना जरूरी है कि जो आपके सामने आ रहा है, उसका चरित्र कैसा है, किस चीज का सौदागार है ? जिस रूप में वो आपके पास आ रहा, वाकई में वो वैसा है या चेहरे पर नकाब लगाकर घर-घर घूम रहा ? चरित्र जानेंगे तो पांव के नीचे से जमीन खिसक जायेगी, फिर कहेंगे...यह तो एकदम से...। 

चेहरे पर नकाब लगाकर जनसंपर्क में जुटे दागी तथाकथित शिक्षाविद्

आज की राजनीति गजब की हो गई है. अच्छे लोगों की अब पूछ नहीं रही. धन पशुओं का बोलबाला हो गया है. गलत तरीका अपनाकर पैसा कमा लिया, इसके बाद वो शख्स सीधे नेता बनना चाहता है. विधायक का चुनाव लड़कर अपना प्रभुत्व बढ़ाना चाहता है. चेहरे पर लगे दाग को मिटाना चाहता है. आज हम नवादा के जिस तथाकथित शिक्षाविद की चर्चा कर रहे हैं, उनके चेहरे पर भी गहरा दाग है. काला धब्बा लगा है. धब्बा ऐसा-वैसा वाला नहीं, बल्कि बच्ची से गंदा काम कराने का,..वो भी शिक्षा के मंदिर में. जो शख्स आज चोला बदलकर नेता बनने के रास्ते पर हैं, उन्हीं दोनों भाईयों पर आरोप लगा था. शिक्षा के मंदिर में बच्ची की अस्मत से खिलवाड़ की खबर के बाद बारी बवेला मचा था. आज के तथाकथित शिक्षाविद जो चुनाव लड़ने को बेचैन हैं. उन पर अनगिनत दाग लगे थे. आक्रोशित लोगों ने घर को घेर लिया था. कई थानों की पुलिस पहुंची थी, तब जाकर अधर्मियों की जान बची थी. वैसे जो तथाकथित शिक्षाविद नवादा में जनसंपर्क चला रहे, उनकी जिलेभर में पहचान एक @@@यर की है. 

कथित शिक्षाविद का पाप फिर हुआ प्रकट

समय बीतने के बाद लोग पुरानी बात को भूल जाते हैं. तथाकथित समाजसेवी भी यही चाहते हैं, नवादा के लोग पुरानी बात को भूल जाएं. हालंकि यहां के लोग वो गंदी बात भूलने को तैयार नहीं, तथाकथित शिक्षाविद के निजी स्कूल में बच्ची से गंदा काम,और आरोप इन्हीं पर. वैसे आज भी इस तथाकथित शिक्षाविद् के स्कूल में 1-2 ऐसी वारदातें हो ही जाती हैं. तथाकथित शिक्षाविद अब चोला बदलने को बेचैन हैं, पर पाप पीछा नहीं छोड़ रहा. जैसे ही खादी पहनकर मैदान में उतरे, पाप एक बार फिर से प्रकट हो गया है. मुंह पर तो नहीं लेकिन पीछे में चर्चा की जा रही, जो शख्स चेहरा बदलकर हमारे पास आ रहा, उसी पर तो बच्ची से गंदा काम करने का आरोप लगा था, थाने में मुकदमा भी दर्ज हुआ था. अब वही शख्स नेता बनने चला है.

हर दल का दरवाजा घूम लिया...नहीं मिली इंट्री 

बता दें, नवादा का तथाकथित समाजसेवी जो थैली से मजबूत है, टिकट के लिए हर दरवाजे घूम लिया. अब तक कोई अपनाने को तैयार नहीं. भाजपा-जेडीयू-राजद की बात छोड़ दीजिए, दाग ऐसे हैं कि HAM भी अपनाने को तैयार नहीं हुआ. अब जनसुराज पर अंतिम आसरा है. सवाल यही है कि क्या प्रशांत किशोर ऐसे दागदार छवि वाले को अपनाएँगे ? वैसे दोनों भाई टिकट चाहते हैं, कई दुकान पर गए, पर दुकानदार सिंबल देने को राजी नहीं.एक भाई नवादा विस क्षेत्र से दलीय नहीं तो निर्दलीय ही सही चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं. दूसरा भाई हिसुआ को चुनाव लड़ने को बेचैन हैं. हालांकि हिसुआ विधानसभा में कोई चांस नहीं दिखता. यहां भी दागी-कथित शिक्षाविद की दाल नहीं गलने वाली. 

अगली किस्त में आपको बताएंगे कि तथाकथित शिक्षाविद् जो अब नेता बनने चले हैं, उनकी थैली इतनी भारी कैसे हुई ? दो दशक में कैसे यहां तक पहुंचे..किस-किस तरह के आरोप लगे,किन थानों में किस धारा में मुकदमा दर्ज हुआ. किस तरह से पाप को छुपाने की कोशिश की. अंदर की सारी खबर जो नवादा और बाहर के लोगों को जानना जरूरी है, वो सब बतायेंगे.