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Bihar News: नेपाल में आंदोलन का इस जिले के बाजार पर तगड़ा असर, अब तक ₹150-200 करोड़ का नुक़सान

Bihar News: नेपाल में Gen Z आंदोलन का इस जिले के कपड़ा-लहठी मंडी पर तगड़ा असर, ₹150-200 करोड़ का नुकसान, त्योहार सीजन में भारी मंदी। व्यापारी चिंतित..

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 17 Sep 2025 06:46:51 PM IST

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प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar News: नेपाल में Gen Z के नेतृत्व में भ्रष्टाचार और नेपोटिज्म के खिलाफ शुरू हुए हिंसक आंदोलन ने न सिर्फ काठमांडू सहित पूरे देश को हिला दिया है बल्कि बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की कपड़ा और लहठी मंडी को भी बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। 4 सितंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने से भड़के इन प्रदर्शनों में संसद भवन और सरकारी इमारतों को आग लगाई गई, जिसमें दर्जनों लोगों की मौत हुई। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा और अब अंतरिम सरकार गठन की प्रक्रिया चल रही है। नेपाल की खुली सीमा बिहार से लगती है, जिससे मुजफ्फरपुर जैसे सीमावर्ती शहरों का व्यापार ठप हो गया। स्थानीय व्यापारियों के अनुसार, 8 सितंबर से ही कारोबार प्रभावित हुआ है और त्योहारों के सीजन में नेपाल से आने वाले सैकड़ों थोक व्यापारियों की कमी से बाजार सूना पड़ा है।


मुजफ्फरपुर की सूतापट्टी कपड़ा मंडी और इस्लामपुर लहठी मंडी नेपाल के लिए मुख्य सप्लाई हब हैं। यहां से कपड़े, चावल, गेहूं, हार्डवेयर, मक्का और लहठी का निर्यात होता है। सूतापट्टी के प्रमुख व्यापारी राजकुमार मुंशी ने बताया कि नवरात्रि और दशहरा जैसे त्योहारों से पहले मंडी में रौनक रहती है, लेकिन आंदोलन के बाद सन्नाटा छा गया है। नेपाल के कलैया निवासी एक व्यापारी ने कहा कि वे पांच दिनों से मुजफ्फरपुर आने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन सीमा पर तनाव के कारण नहीं पहुंच सके। अब ऑर्डर देने में देरी हो रही है और माल पहुंचने में 3-4 दिन और लगेंगे। इस्लामपुर के लहठी कारोबारी के अनुसार, दशहरा से छठ तक काठमांडू और अन्य इलाकों में लहठी की भारी मांग रहती है, लेकिन पिछले एक सप्ताह में 10-15 लाख रुपये का कारोबार प्रभावित हो चुका है।


चैंबर ऑफ कॉमर्स के मीडिया प्रबंधन सभापति सज्जन शर्मा ने बताया कि सभी सेक्टरों से मिलाकर 150-200 करोड़ रुपये का नुकसान अनुमानित है। करीब 750 थोक और खुदरा दुकानें प्रभावित हुई हैं। माल रक्सौल, जयनगर, जनकपुर, सोनवर्षा, वैरगनिया, आदापुर, घोड़ासहन और वीरपुर जैसे बॉर्डर पॉइंट्स से भंसार कराकर नेपाल जाता है। दशहरा नेपाल का बड़ा पर्व है, जहां नए वस्त्र पहनना अनिवार्य माना जाता है, इसलिए इस समय सबसे ज्यादा रौनक रहती है। आंदोलन से सीमा पर आवागमन लगभग बंद हो गया और एसएसबी ने 60,000 जवान तैनात कर दिए हैं।


हालाँकि, अब नेपाल में रास्ते धीरे-धीरे खुलने लगे हैं और आवाजाही शुरू हो गई है। व्यापारियों का अनुमान है कि बाजार की स्थिति सामान्य होने में एक सप्ताह लगेगा। मुजफ्फरपुर चैंबर ने सरकार से सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने और व्यापारियों को राहत देने की मांग की है। यह आंदोलन न सिर्फ नेपाल की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचा रहा बल्कि बिहार के सीमावर्ती जिलों को भी भारी नुकसान दे रहा है।