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16-Feb-2025 07:00 AM
By First Bihar
Eclipses: भूमिकाखगोल विज्ञान और ज्योतिष में रुचि रखने वालों के लिए वर्ष 2025 खास रहने वाला है, क्योंकि इस साल दो महत्वपूर्ण ग्रहण पड़ेंगे—एक चंद्र ग्रहण और एक सूर्य ग्रहण। ये खगोलीय घटनाएं न केवल विज्ञान की दृष्टि से आकर्षक हैं, बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी इनका विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इन ग्रहणों की तिथियां, समय और इनसे जुड़े धार्मिक एवं वैज्ञानिक पहलू।
चंद्र ग्रहण 2025
तिथि: 14 मार्च 2025समय: सुबह 9:29 बजे से दोपहर 3:29 बजे तकमहत्व: यह चंद्र ग्रहण फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होली के त्योहार के साथ पड़ेगा। खगोलविदों के अनुसार, चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे चंद्रमा पर सूर्य का प्रकाश नहीं पड़ता और वह आंशिक या पूर्ण रूप से अंधकारमय हो जाता है।
सूर्य ग्रहण 2025
तिथि: 29 मार्च 2025समय: दोपहर 2:20 बजे से शाम 6:16 बजे तकमहत्व: यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा। सूर्य ग्रहण तब घटित होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती और कुछ समय के लिए अंधकार छा जाता है।
ग्रहण से जुड़े धार्मिक और ज्योतिषीय प्रभाव
सूतक काल का महत्व
ग्रहण के दौरान सूतक काल माना जाता है, जिसमें भोजन, पूजा और अन्य शुभ कार्यों को वर्जित माना जाता है।
गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान बाहर निकलने से गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
ग्रहण के दौरान मंत्र जाप और भगवान का स्मरण करना शुभ माना जाता है।
वैज्ञानिक महत्व
ग्रहण न केवल ज्योतिषीय बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी महत्वपूर्ण घटनाएं होती हैं। ये हमें पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य की स्थिति और उनके बीच संबंधों को समझने का अवसर प्रदान करते हैं। वैज्ञानिकों के लिए यह समय शोध और अध्ययन का अवसर होता है। 2025 में होने वाले सूर्य और चंद्र ग्रहण न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। ग्रहणों को लेकर कई मान्यताएं और परंपराएं हैं, जिन्हें लोग अपने विश्वास और संस्कृति के अनुसार मानते हैं। चाहे आप विज्ञान के प्रति उत्सुक हों या ज्योतिष में आस्था रखते हों, ये खगोलीय घटनाएं निश्चित रूप से आकर्षण का केंद्र रहेंगी।