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03-Feb-2025 07:14 AM
By First Bihar
Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। बसंत पंचमी के दिन ही भगवान ब्रह्मा जी के जिह्वा से वाणी, ज्ञान और बुद्धि की देवी माता सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसलिए हर साल बसंत पंचमी पर विद्या की देवी मां सरस्वती की विधिवत पूजा की जाती है।
इस वर्ष सरस्वती पूजा को लेकर शुभ मुहूर्त को लेकर ज्योतिषाचार्य का कहना है कि 3 फरवरी 2025 को प्रातः काल से ही शुभ मुहूर्त प्रारंभ है। 3:24 से वह सुबह मुहूर्त प्रारंभ होकर के दोपहर के 1:28 तक पूर्ण रूप से है। उसके बाद संध्या 4 बजे से 6:30 के मध्य इसके पूर्ण फल की प्राप्ति का मुहूर्त बन रहा है। इस वर्ष बसंत पंचमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग अबूझ मुहूर्त है।
इन सब योगों के साथ पंचग्रही सभी ग्रह एक सीधी रेखा में लंबवत रूप में 3 फरवरी को 28 घंटे के जिसमें 2 फरवरी के रात्रि का भी प्रहार शामिल है लेकिन 3 फरवरी को पूर्ण दिवा रात्रि यह मां सरस्वती के विद्यादायिनी स्वरूप का पंचग्रही योग है। जो 144 साल के बाद पुनः बन रहा है। इस समय में मां के स्वरूप की पूजा आराधना करना सबसे सर्वोत्तम फलदाई होगा।
वहीं जो छात्र सरस्वती पूजा में बैठ रहे हैं, वह पीले वस्त्र पीले आसन एवं पीले प्रसाद और फल के साथ वैदिक मंत्र "वद वद वाग वादिनी" उच्चारण के साथ गणेश पूजा के के बाद इस मंत्र की आराधना से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। जीभा की सिद्धि प्राप्त होती है। सनातन धर्म में यह भी कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन छोटे बच्चे जो अब पढ़ाई की शुरुआत करने वाले होते हैं, उसे दिन उन्हें माता सरस्वती के सामने स्लेट और पेंसिल पर पहली बार विद्या आरंभ करने की शुरुआत करते हैं।
इधर,कुंभ के कारण इस दिन गंगा स्नान का विषय महत्व है। तीर्थ नदी में स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। पंचग्रही योग बसंत के महीने में जिस दिन भी लगता है, उस दिन बसंत पंचमी होता है, जिसे अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। जो भी काम किया जाता है, शुभ फल की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि छात्र इस दिन विद्या की देवी का आराधना करते हैं।