ब्रेकिंग न्यूज़

गोपालगंज में दिनदहाड़े युवक को मारी गोली, बाइक सवार अपराधियों ने घटना को दिया अंजाम Bihar IPS Officers: बिहार से दिल्ली जा रहे 2 आईपीएस अफसर, बिहार सरकार ने किया रिलीज, जानें... Corrupt CO Bihar : बिहार सरकार के भ्रष्ट CO प्रिंस राज के घर छापेमारी में डिग्री फर्जीवाड़ा उजागर, पिता ने क्या कहा? Gaya development News: बिहार के इस जिले में 15.66 करोड़ में 102 योजनाओं का मंत्री ने किया शिलान्यास इस फोरलेन के बनने से कम होगी बिहार से झारखंड की दूरी, इन जिलों को भी मिलेगा फायदा National Herald: नेशनल हेराल्ड पर बोले डिप्टी सीएम सम्राट... “कांग्रेस ने देश को लूटा, आजादी के सेनानियों का किया अपमान” Success Story: बिना कोचिंग के बिहार की बेटी UPSC क्रैक कर बनीं IAS, दूसरे प्रयास में हासिल किया 208 रैंक प्रेमिका से मिलने की सजा: घरवालों ने सेविंग ब्लेड से काटा युवक का प्राइवेट पार्ट, अस्पताल में ज़िंदगी-मौत की जंग Amrit Bharat Station Scheme: अमृत भारत योजना के तहत जमालपुर और नव-निर्मित मुंगेर स्टेशन का डीआरएम मनीष गुप्ता ने किया स्थलीय निरीक्षण Bihar Education News: महिला शिक्षक को परेशान करना शराबी BEO को पड़ा महंगा, पहले जेल फिर निलंबन, जेल से निकलते फिर हुए सस्पेंड

Normalization: नॉर्मलाइजेशन क्या है, क्यों छात्र कर रहे हैं इसका विरोध?

Normalization: नॉर्मलाइजेशन क्या है, क्यों छात्र कर रहे हैं इसका विरोध?

17-Dec-2024 10:46 PM

देशभर में नॉर्मलाइजेशन को लेकर छात्र समुदाय के बीच गहरा असंतोष देखने को मिल रहा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश और बिहार में छात्रों द्वारा इसे लेकर बड़े स्तर पर आंदोलन किए गए। खासतौर पर बिहार में बीपीएससी परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन लागू होने के बाद इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर नॉर्मलाइजेशन क्या है, यह कैसे काम करता है और क्यों कैंडिडेट्स इसका विरोध कर रहे हैं।


क्या है नॉर्मलाइजेशन?

नॉर्मलाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब किसी परीक्षा का आयोजन एक दिन में संभव नहीं हो पाता या परीक्षा एक से अधिक पालियों में आयोजित की जाती है। अलग-अलग पाली में प्रश्नों के स्तर में फर्क हो सकता है, ऐसे में नॉर्मलाइजेशन का उद्देश्य सभी अभ्यर्थियों को समान अंक देना होता है।


बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के संदर्भ में, प्रसिद्ध शिक्षक और यूट्यूबर खान सर का कहना है कि, "सामान्यीकरण तब लागू किया जाता है जब परीक्षा कई पालियों में होती है। यदि अलग-अलग क्षेत्रों में छात्रों को अलग प्रश्न पत्र दिए जाते हैं, तो उनके अंकों में अंतर स्वाभाविक है। हालांकि, यह फॉर्मूला गणित विषय में लागू हो सकता है लेकिन सामान्य अध्ययन जैसे विषयों में इसका उपयोग अनुचित है। यह छात्रों के साथ भेदभाव पैदा करता है।"


कैसे काम करता है नॉर्मलाइजेशन?

जब परीक्षा एक से अधिक पालियों में होती है, तो प्रत्येक पाली में छात्रों द्वारा प्राप्त अंकों का विश्लेषण किया जाता है।

इसके बाद आसान पाली के अंकों को कठिन पाली के अंकों के साथ समायोजित (adjust) किया जाता है।

नॉर्मलाइजेशन के बाद सभी अभ्यर्थियों को एक समान स्तर पर रखा जाता है और इसके आधार पर फाइनल रिजल्ट घोषित किया जाता है।


विवाद का कारण

नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को लेकर छात्रों की मुख्य आपत्तियां हैं:

भेदभाव की संभावना:

जब अलग-अलग पालियों में प्रश्नों का कठिनाई स्तर भिन्न होता है, तो जिन छात्रों ने कठिन प्रश्न हल किए होते हैं, उन्हें उनके ज्ञान के मुताबिक अंक नहीं मिल पाते। दूसरी ओर, आसान प्रश्न वाले अभ्यर्थियों के अंक बढ़ा दिए जाते हैं।


मेहनती छात्रों के साथ अन्याय:

छात्रों का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन के चलते कई बार कमजोर प्रदर्शन करने वाले अभ्यर्थियों के अंक अधिक हो जाते हैं, जबकि मेहनती और अच्छे अभ्यर्थी बिना किसी गलती के पीछे रह जाते हैं।


समान ज्ञान की अवधारणा गलत:

लाखों छात्रों के बीच ज्ञान का स्तर समान नहीं हो सकता। ऐसे में सभी को एक ही पैमाने पर आंकना उचित नहीं है।


वास्तविक प्रतिभा का नुकसान:

यह प्रक्रिया असल ज्ञान की बजाय अंक समायोजन पर आधारित होती है, जिससे वास्तविक टैलेंट की पहचान मुश्किल हो जाती है।


छात्रों की मांग

छात्रों का मुख्य तर्क है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया की समीक्षा की जाए और इसे पारदर्शी और सटीक बनाया जाए। इसके अलावा, यदि किसी परीक्षा का आयोजन एक ही दिन में किया जाए तो इससे नॉर्मलाइजेशन की जरूरत ही खत्म हो जाएगी।