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20-Feb-2020 09:38 AM
By RAMESH RAI
SAMASTIPUR: जब बिहार के पुलिस महकमे के मुखिया डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने यह कहा कि बिना थानेदार की मिलीभगत से एक बोतल शराब की बिक्री भी सम्भव नहीं तो इस बयान के बाद विभाग में हड़कंप मच गया.
पुलिस संगठन द्वारा उनके इस बयान की आलोचना भी खूब हुई. लेकिन समस्तीपुर में हुई एक घटना से डीजीपी के बयान की सच्चाई सामने आ रही है. समस्तीपुर में पुलिस अपराधियों पर लगाम लगाने की बजाय निर्दोष लोगों को शराब के नाम पर फंसाने और फिर उनसे अवैध वसूली में लगी है.
यह बात हम नहीं कह रहे है बल्कि खुद समस्तीपुर के पुलिस कप्तान ने ही अपने जांच में सही पाया है. फिलहाल नगर थाना में पदस्थापित एक होमगार्ड जवान विजय कुमार सिंह जो थाना के सरकारी वाहन का चालक है और राम प्रवेश सहनी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. जबकि इस मामले में 3 अन्य पुलिसकर्मियों की संलिप्तता भी सामने आई है, जिनपर कार्रवाई की प्रशासनिक तैयारी की जा रही है.
जानकारी के मुताबिक प्रशांत कुमार नामक शख्स मंगलवार की रात पंजाब से ट्रेन से वापस अपने घर बेगूसराय जाने के लिए समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर उतरा और ई-रिक्शा से बस स्टैंड के लिए चला. रास्ते में ही एक दूसरा यात्री भी उसी रिक्शे पर बैठा. कुछ दूर आगे ही बाजार में पुलिस की गाड़ी जांच कर रही थी. रिक्शे पर बैठा दूसरा शख्स बैग छोड़कर भाग गया. पुलिस वालों ने जब जांच किया तो दोनों बैग में शराब की बोतल थी. इसके बाद पुलिस ने निर्दोष प्रशांत को पकड़ लिया. प्रशांत बार बार अपना पहचानपत्र और रेलवे का टिकट दिखाकर बताता रहा कि वह निर्दोष है लेकिन किसी पुलिसकर्मी ने उसकी नहीं सुनी और बेरहमी से खूब पिटाई की. फिर पुलिस जीप पर ही बैठाकर रात भर घुमाते रहे. छोड़ने के एवज में 50 हजार की मांग की. जिसके बाद युवक ने अपने एक रिश्तेदार को बुलाया और कुछ पैसे जमा करके बाकी की गारंटी पर उसे छोड़ा गया. बाकी के पैसे नहीं देने पर पुलिस वालों ने दूसरे केस में फंसाने की धमकी दी. उसके बाद चालक विजय सिंह के मोबाइल से कई बार प्रशांत को फोन कर बाकी के पैसे की मांग की गई. जिसके बाद युवक ने एसपी को लिखित आवेदन दिया. मामले की गोपनीय जांच की गयी तो मामला सही पाया गया. नगर थाना में ही इस मामले की एफआईआर दर्ज की गई है. बाकी पुलिसवालों के खिलाफ भी जांच चल रही है.