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23-Jan-2024 11:17 AM
By First Bihar
PATNA : उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह पूरा हो चुका है। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभिजीत मुहूर्त में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान को पूर्ण किया। रामलला की मनमोहक छवि को निहारने के लिए लाखों भक्त अयोध्या में उमड़ पड़े हैं। सोने और हीरे से सजे रामलला का दिव्य रूप भक्तजन निहारते नहीं थकते। हालांकि, इस कार्यक्रम में राजद नेता अधिक खुश नजर नहीं आ रहे हैं !
दरअसल, राजद नेता और बिहार सरकार के मंत्री तेजप्रताप यादव ने आयोध्या में बने रामलला की मंदिर को लेकर अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि - राम नहीं आ रहे हैं ! चुनाव आ रहे हैं ! श्री राम तो हमारे मन में, हृदय में और कण-कण में विराजमान हैं पूर्व से ही। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री राम, विष्णु जी के अवतार हैं और भगवान विष्णु के अन्तिम अवतार “कल्कि अवतार” को कलियुग का अंत होने के बाद धर्म की पुनर्स्थापना के लिए आना बाक़ी है। सियावर रामचंद्र की जय।
मालूम हो कि , देश में आगामी कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव का एलान होना है। इस चुनाव को लेकर भाजपा अपनी रणनीति बनाने में लग गयी है। तो वहीं राजद भी विपक्षी दलों को एक साथ चुनाव लड़ने केलिए तैयार हुई इंडिया में सहयोगी बन अपनी रणनीति बना रही है। लेकिन, बार - बार मामला सीट बंटवारा पर आकर फंसता हुआ नजर आ रहा है। हालांकि , बिहार के महागठबंधन में शामिल इस दल का कहना है कि यह उनका निजी मामला है और वो बड़े ही आसानी से संभाल लेंगे।
आपको बताते चलें कि , पिछले 30 सालों में देश के 10 राज्यों की राजनीति को राम मंदिर के मुद्दे ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। ये राज्य हैं- बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात और हरियाणा। इन 10 राज्यों में लोकसभा की 288 सीटें हैं, जो कुल सीटों का 52 फीसद है। ऐसे में बाबरी गिरने के बाद इन राज्यों में ही बीजेपी को सबसे ज्यादा फायदा मिला था और इन्हीं सीटों के बूते 1996 के चुनाव में बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा ठोक दिया था।
हालांकि, पूर्ण बहुमत न होने की वजह से 13 दिनों में ही अटल बिहारी की सरकार गिर गई। लेकिन, वर्तमान में इन 10 राज्यों में बीजेपी के पास करीब 200 सीटें हैं। उसके सहयोगियों के पास भी 20 सीट है। अब बीजेपी इन राज्यों में राम मंदिर के मुद्दे को सबसे ज्यादा भुनाने की कोशिश में लगी हुई नजर आ सकती है। पार्टी ने इसके लिए 'संकल्प से सिद्धी' तक का एक अभियान भी तैयार किया है।