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08-Mar-2022 08:33 PM
PATNA: नीतीश सरकार ने आनन फानन में अपने शराबबंदी कानून में संशोधन कर दिया है. आज कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया. सरकार अब इस संशोधन को विधानसभा-विधान परिषद में ले जायेगी और उसे पास करायेगी. सरकार ने ये संशोधन ठीक उसी दिन किया है जिस दिन सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होनी थी. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय मांग लिया है. माना जा रहा है कि कानून में संशोधन कर सरकार सुप्रीम कोर्ट में फजीहत से बचना चाह रही है.
आज राज्य सचिवालय में हुई कैबिनेट की बैठक में शराबबंदी कानून में संशोधन का फैसला लिया गया. हालांकि सरकार की ओर से इस संशोधन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी. सरकार ने कहा कि विधानसभा और विधान परिषद में इस संशोधन को रख कर पूरी जानकारी दी जायेगी. हालांकि सरकारी सूत्रों ने बताया कि शराबबंदी कानून को और सख्त किया जा रहा है. सरकार जिन बिंदुओं पर सुप्रीम कोर्ट में फंस सकती है, उनके मद्देनजर ही फेरबदल किया गया है.
इससे पहले नीतीश कुमार विधानसभा में ये कह चुके हैं कि वे शराबबंदी कानून को और सख्त करने जा रहे हैं. नीतीश ने पांच दिन पहले ही सदन में कहा था कि वे शराब पीने और बेचने वालों को छोड़ेंगे नहीं. अभी तो ड्रोन से शराब को पकड़ा जा रहा है अब वे प्लेन उड़वाकर भी शराब पकड़वायेंगे. इस बीच शराब पकड़ने के लिए मोटर बोट खरीदने का सरकारी एलान भी सामने आ गया है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट शराबबंदी कानून के कारण बिहार में कोर्ट-कचहरी का कामकाज बुरी तरह प्रभावित होने से भारी नाराज है. कोर्ट ने पिछले महीने ही बिहार में शराबबंदी कानून पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था. उससे पहले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया खुले मंच से ये कह चुके हैं कि बिहार सरकार ने बिना किसी प्लानिंग के शराबबंदी कानून लागू कर दिया जिससे पूरी न्यायिक व्यवस्था चरमरा गयी है. हाईकोर्ट का आलम ये है कि जमानत के एक सामान्य मामले की सुनवाई होने मे एक साल लग जा रहे हैं. ऐसी स्थिति हो जा रही है कि हाईकोर्ट के 16 जज शराब से जुड़े मामले की ही सुनवाई कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच के समक्ष शराबबंदी कानून पर सुनवाई आज ही होनी थी. लेकिन राज्य सरकार ने कोर्ट में अर्जी देकर मामले को 3 हफ्ते के लिए टलवा लिया है. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय मांग लिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि अप्रैल के पहले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट की बेंच में इस मामले की सुनवाई होगी. चर्चा ये हो रही है कि कोर्ट में होने वाली फजीहत से बचने के लिए सरकार ने पहले ही कानून में संशोधन कर दिया है.