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18-Dec-2021 01:36 PM
SIWAN : सिवान जिला के भगवानपुर हाट प्रखंड स्थित शंकरपुर पंचायत के शिक्षक नियोजन में हुए बड़े फर्जीवाड़े को लेकर विभाग अभी ही सुस्त है. जबकि यह मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संज्ञान में भी जा चुका है. इस संबंध में सीवान के डीपीओ राजेंद्र सिंह का कहना है कि यह मामला हमारे संज्ञान में आया है. इसको लेकर हमने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को पत्र भी भेजा था. उन्होंने बताया कि शिक्षक को हटाने का अधिकार नियोजन इकाई का है.
डीपीओ ने इस बात को स्वीकार किया है कि इस नियोजन प्रक्रिया में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है. लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नही हो पा रही है. सीएम के पास मामले को गए एक सप्ताह होने को है लेकिन विभाग द्वारा अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है. सीवान के डीपीओ जिस तरह से बात कर रहे है, उससे साफ प्रतीत हो रहा है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और नियोजन इकाई के अधिकारी जिले के वरीय अधिकारियों की भी बात नहीं सुनते हैं. डीपीओ ने बताया कि हम इस संबंध में एक्शन लेंगे लेकिन अभी तक उनके द्वारा भी कोई ठोस कार्रवाई नही हो पाई है.
गौरतलब है कि बिहार के सीवान जिला से आए एक शख्स ने मुख्यमंत्री के जनता दरबार में जिले के भगवानपुर हाट प्रखंड में हुई शिक्षक बहाली में बड़े फर्जीवाड़े का पोल खोलकर रख दिया था. इस व्यक्ति ने यह आरोप लगाया था कि प्रखंड के शंकरपुर पंचायत में शिक्षक नियोजन में प्रवीण कुमार नाम के एक व्यक्ति ने नियोजन इकाई से मिली भगत करके 2016 में 2006 के पैनल में आवेदन पंजी, मेधा सूचि और काउंसिलिंग रजिस्टर में अपना नाम प्रविष्ट करा लिया जबकि वह 2006 के पैनल में आवेदक नहीं था.
सीएम को दिए अपने आवेदन में उन्होंने बताया था कि इस संबंध में वो सीवान जिला के डीएम और डीपीओ को आवेदन दे चुके हैं लेकिन किसी ने भी संज्ञान नहीं लिया है. अपने आवेदन में सत्य प्रकाश ने लिखा है कि शिक्षक प्रवीण कुमार नवीन प्राथमिक विद्यालय, कोईरगांवा टोले मिश्रवलिया में पदस्थापित हैं. ग्राम पंचायत राज शंकरपुर के नियोजन इकाई के अंतर्गत इनकी बहाली हुई है. अपने आवेदन में उन्होंने शिक्षक प्रवीन कुमार पर यह आरोप लगाया है कि वर्ष 2012 के नियोजन में भी वो अभ्यर्थी थे जिसमें उन्होंने इंटरमिडिएट में अपना कुल मार्क्स 539 दर्शाया था और खुद को टीईटी पास भी बताया था. जबकि 2016 वाली प्रविष्टि में उन्होंने अपना मार्क्स 597 दर्शाया है.
आवेदन में यह भी बताया गया है कि 2006 की वही मेधा सूचि 900 नंबर पर बनी है. उस स्थिति में प्रवीण कुमार का नंबर 539 ही होता है. जो लगभग 59.8 प्रतिशत है. जबकि उनकी बहाली 66.33 प्रतिशत पर हुई है. उन्होंने शिक्षक पर आरोप लगाया है कि नियोजन इकाई और प्राधिकार के साथ मिलीभगत प्रवीण कुमार ने फर्जी तरीके से अपनी बहाली करवाई है. ऐसे में एक ही शिक्षक का एक ही नियोजन इकाई में दो विभिन्न नियोजन वर्ष में दो तरह का मार्क्स बताना और उसी आधार पर नौकरी में बने रहना, वेतन भी लेते रहना, तथा जिले के सभी पदाधिकारियों के संज्ञान में साक्ष्य के साथ लाने के बावजूद भी कार्रवाई का ना होना सारे पदाधिकारियों की लापरवाही या मिलीभगत के के तरफ इशारा कर रहा है.