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नीतीश को सता रहा था कुर्सी जाने का डर, बोले.. सत्ता जाने के डर से पहले नहीं ले पाए यह फैसला

नीतीश को सता रहा था कुर्सी जाने का डर, बोले.. सत्ता जाने के डर से पहले नहीं ले पाए यह फैसला

29-Dec-2021 01:07 PM

PATNA : बिहार कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपनी कुर्सी जाने का डर सता रहा था। बात 6 साल पुरानी है लेकिन इसका खुलासा नीतीश कुमार ने आज किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी अभियान की सफलता को लेकर इंडियन और समाज सुधार अभियान पर हैं। आज मुजफ्फरपुर के एमआईटी मैदान में उन्होंने अभियान के तहत एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान नीतीश कुमार ने इस बात का खुलासा किया कि उन्हें अपनी कुर्सी जाने का डर सता रहा था। इसी वजह से वह शराब बंदी पर पहले फैसला नहीं ले पाए।


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें कर्पूरी ठाकुर का हश्र अच्छे तरीके से याद है। नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में कर्पूरी ठाकुर जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने शराब बंदी का फैसला लागू किया था लेकिन ढाई साल बाद ही उन्हें कुर्सी से हटना पड़ा। जननायक का हाल देख कर मुझे भी इस बात का डर सता रहा था कि शराबबंदी का फैसला कैसे करूं। नीतीश कुमार ने कहा कि वह शुरू से ही शराब बंदी के पक्षधर थे लेकिन कर्पूरी ठाकुर का जो हाल हुआ उसे देखकर उन्हें भी डर सता रहा था कि कुर्सी चली जाएगी। आखिरकार उन्होंने बहुत साहस कर साल 2016 में आंशिक शराब बंदी का फैसला किया।


नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में आंशिक शराबबंदी के फैसले का साथ महिलाओं ने दिया। महिलाओं की मांग पर ही उन्होंने बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागू की और अब वह इस फैसले से पीछे नहीं हटे वाले हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग हर फैसले का विरोध करते हैं। मुझे उनकी परवाह नहीं है। नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी का जो फैसला हमने किया है, उससे सामाजिक बदलाव देखने को मिल रहा है। जीविका दीदियों का समर्थन हमें लगातार मिला है। सामाजिक परिवर्तन के इस दौर में जो लोग भी शराब बंदी कानून की आलोचना करते हैं मुझे उनकी प्रवाह नहीं है। बिहार में शराब बंदी के फायदे दिख रहे हैं और यह फैसला आगे भी लागू रहेगा।


नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी के अभियान आगे भी लागू रहेगा। नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी के साथ-साथ बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी हम अभियान चलाते रहेंगे। नीतीश कुमार ने कहा कि अब वह उस दौर से आगे निकल चुके हैं जब उन्हें कुर्सी का डर सताता था। अब शराबबंदी बिहार में एक ऐसा जन आंदोलन बन चुका है जिसके साथ वह कुछ भी बर्दाश्त करने को तैयार हैं।