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मुंगेर कांड : झूठा साबित हुआ लिपि सिंह का आरोप, भीड़ ने नहीं पुलिस ने की थी फायरिंग, CISF की रिपोर्ट से खुलासा

मुंगेर कांड : झूठा साबित हुआ लिपि सिंह का आरोप, भीड़ ने नहीं पुलिस ने की थी फायरिंग, CISF की रिपोर्ट से खुलासा

29-Oct-2020 09:56 PM

PATNA : मुंगेर में हुए विवाद में भीड़ द्वारा पुलिस पर फायरिंग का आरोप लगा रही तत्कालीन एसपी लिपि सिंह का आरोप गलत साबित हुआ है. घटनास्थल पर तैनात सीआईएसएफ की टीम ने अपने आलाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी है. इस रिपोर्ट में साफ साफ कहा गया है फायरिंग की शुरूआत मुंगेर पुलिस ने की थी. बाद में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों ने भी फायरिंग की.




गौरतलब है कि मुंगेर की तत्कालीन एसपी लिपि सिंह ने ये आरोप लगाया था कि दुर्गा प्रतिमा विर्सजन जुलूस के दौरान उपद्रवियों ने फायरिंग की थी और उनकी फायरिंग से ही एक युवक की मौत हो गयी थी. सीआईएसएफ की आंतरिक रिपोर्ट ने लिपि सिंह का आरोपों की पोल खोल दी है.




मुंगेर की घटना के बाद सीआईएसएफ के डीआईजी ने अपने मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी है. दरअसल चुनाव के मद्देनजर मुंगेर में सीआईएसएफ की टीम को तैनात किया गया था. मुंगेर की एसपी ने दुर्गा प्रतिमा विर्सजन जुलूस के दौरान इस टीम का उपयोग किया था. इसके मद्देनजर ही CISF के डीआईजी ने अपनी रिपोर्ट भेजी है.


क्या लिखा है सीआईएसएफ की रिपोर्ट में सीआईएसएफ के डीआईजी की रिपोर्ट के मुताबिक  ‘‘मुंगेर कोतवाली थाना के कहने पर सीआईएसएफ की टीम को मूर्ति विसर्जन जुलूस की सुरक्षा ड्यूटी के लिए जिला स्कूल स्थित कैंप से भेजा गया था. 26 अक्टूबर की रात 11 बजकर 20 मिनट पर CISF के 20 जवानों की टुकड़ी तैनात हुई. मुंगेर पुलिस ने इन 20 जवानों को 10-10 के दो ग्रुप में बांट दिया. एक ग्रुप को SSB और बिहार पुलिस के जवानों के साथ मुंगेर के दीनदयाल उपाध्याय चौक पर तैनात किया गया.”


इस रिपोर्ट के मुताबिक ‘‘ 26 अक्टूबर की रात के करीब 11 बजकर 45 मिनट पर विसर्जन यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं और स्थानीय पुलिस के बीच विवाद शुरू हुआ. इसके बाद कुछ लोगों ने पुलिस और सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी थी. पत्थर चलने के बाद मुंगेर पुलिस ने सबसे पहले हवाई फायरिंग की. फायरिंग के बाद लोग ज्यादा उग्र हो गए और पत्थरबाजी तेज कर दी.’’


इस रिपोर्ट में कहा गया है  ‘‘हालात को बेकाबू होते देख सीआईएसएफ के हेड कांस्टेबल एम गंगैया ने अपनी इंसास राइफल से 13 गोलियां हवा में फायर कीं. फायरिंग के बाद उग्र भीड़ तितर-बितर हुई. फिर सीआईएसएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस के जवान अपने कैंप में सुरक्षित वापस लौट गये.’’


सीआईएसएफ की इस रिपोर्ट से मुंगेर की तत्कालीन एसपी लिपि सिंह के आरोपों की कलई खुल गयी है. लिपि सिंह ने कहा था कि भीड़ से फायरिंग हुई. उन्होंने ये भी आरोप लगाया था कि भीड़ के हमले से दर्जनों पुलिस जवान घायल हो गये. लेकिन सीआईएसएफ की रिपोर्ट में जवानों के घायल होने का कोई जिक्र नहीं है.


गौरतलब है कि मामला 26 अक्टूबर का है. मुंगेर में लोग अपनी पुरानी मान्यताओं के मुताबिक प्रतिमा विसर्जन करना चाह रहे थे.  लेकिन प्रशासन अपने निर्देश के मुताबिक प्रतिमा विसर्जन कराने पर आमदा था. यही विवाद बढ़ा और फायरिंग में 18 साल के एक लड़के मौत हो गयी. पुलिस ने प्रतिमाओं को अपने कब्जे में लेकर उसे विसर्जित कर दिया.



पुलिस के खिलाफ आज लोगों का भारी आक्रोश भड़का और मुंगेर में दिन भर हंगामा होता रहा.आक्रोशित लोगों ने पुलिस थाने में आग लगा दिया. इसके बाद चुनाव आयोग ने मुंगेर के एसपी और ड़ीएम को हटाने का निर्देश दिया. चुनाव आयोग ने मामले की जांच के निर्देश दिये हैं. मगध के डिविजनल कमिश्नर असंगबा चुबा को जांच की जिम्मेवारी सौंपी गयी है.