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07-Sep-2022 06:25 PM
PATNA: बिहार के सहरसा में पुलिस के समक्ष बयान दे रही महिला का वीडियो वायरल होने के बाद सनसनी फैल गयी थी। इस वीडियो में महिला कह रही थी कि वह कॉलगर्ल सप्लाई करती है. मधेपुरा के डीएसपी साहब ने लड़की को घर में बुलवाया और काम कर पैसे नहीं दिये. इसलिए लडकी SP का सरकारी मोबाइल लेकर भाग आयी थी. बिहार पुलिस ही नहीं बल्कि आम लोगों के बीच सनसनी फैला देने वाले इस मामले को आज डीआईजी शिवदीप लांडे ने फर्जी करार दिया. शिवदीप लांडे ने कहा-मधेपुरा के एसडीपीओ अजय नारायण यादव ने महिला के वीडियो को वायरल कराया है. जिस डीएसपी पर लड़की मंगवाने आरोप लगा है, वह गलत है।
बता दें कि चार दिन पहले सहरसा से एक महिला का वीडियो वायरल हुआ था. दरअसल इस महिला को मधेपुरा के SP के सरकारी मोबाइल के साथ पकड़ा गया था. पुलिस के सामने महिला बयान दे रही थी कि मधेपुरा के डीएसपी (मुख्यालय) अमरकांत चौबे के घर पर उसने लडकी भेजी थी औऱ वही मोबाइल लेकर चली आय़ी थी. बात ये सामने आयी थी कि मधेपुरा के एसपी छुट्टी पर गये थे और उन्होंने डीएसपी अमरकांत चौबे को चार्ज दिया था. इसी दौरान एसपी का सरकारी मोबाइल गायब हुआ जो डीएसपी को सौंपा गया था. इस खबर से सनसनी फैलने के बाद मामले की जांच के लिए सुपौल एसपी डी. अमरकेश के नेतृत्व में टीम बनायी गयी थी. उसी टीम की रिपोर्ट के आधार पर डीआईजी ने मामले का खुलासा किया है।
डीआईजी बोले-लड़की बुलाने का आरोप गलत
कोसी रेंज के डीआईजी शिवदीप लांडे ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर डीएसपी के घर लड़की मंगवाने के आऱोप को सिरे से खारिज किया. डीआईजी ने कहा कि सुपौल के एसपी के नेतृत्व में बनी पुलिस की टीम ने इस मामले की गहन छानबीन की है. छानबीन में पता चला है कि मधेपुरा के डीएसपी अमरकांत चौबे ने किसी कॉलगर्ल को अपने घर नहीं बुलाया. पुलिस की जांच टीम ने उस महिला से गहन पूछताछ की जिसे लडकी सप्लायर बताकर वीडियो वायरल किया गया था. डीआईजी के मुताबिक महिला से डीएसपी के बारे में पूछा गया तो उसने गलत कद-काठी बताया. पुलिस की जांच टीम ने महिला को पांच लोगों की तस्वीर दिखायी और उसमें से डीएसपी अमरकांत चौबे की पहचान करने को कहा गया. महिला ने एक सब इंस्पेक्टर की तस्वीर को डीएसपी का फोटो बता दिया।
SDPO ने वीडियो वायरल कराया
DIG शिवदीप लांडे ने कहा कि पुलिस टीम ने छानबीन की तो पता चला कि महिला का जो वीडियो वायरल हुआ था वह सहरसा के सदर थाने का था. वहीं महिला का बयान लिया जा रहा था. डीआईजी के मुताबिक महिला का जो वीडियो वायरल हुआ है उसे सहरसा पुलिस की टेक्नीकल टीम के कर्मचारी प्रभात ने बनाया था. प्रभात ने उस वीडियो को टेक्नीकल टीम के एक औऱ कर्मचारी धीरेंद्र को फॉरवर्ड किया था।
डीआईजी शिवदीप लांडे ने मीडिया को बताया कि पुलिस टीम को ये पता चला कि मधेपुरा में तैनात एसडीपीओ अजय नारायण यादव ने सहरसा पुलिस के टेक्नीकल स्टाफ धीरेंद्र को मधेपुरा बुलाया था. अजय नारायण यादव ने धीरेंद्र से वह वीडियो अपने सरकारी औऱ प्राइवेट दोनों मोबाइल पर ट्रांसफर कराया था. पुलिस ने प्रभात औऱ धीरेंद्र के मोबाइल चेक किये तो पता चला कि उन दोनों ने किसी औऱ को वीडियो फॉरवर्ड या ट्रांसफर नहीं किया. जाहिर है कि अगर वीडियो वायरल हुआ है तो एसडीपीओ अजय नारायण यादव के मोबाइल से ही हुआ है।
डीएसपी ने मोबाइल चोरी के बाद कार्रवाई करने में लीपापोती क्यों की
डीआईजी शिवदीप लांडे औऱ पुलिस की जांच टीम ने लड़की मंगवाने के मामले में मधेपुरा के डीएसपी(हेडक्वार्टर) अमरकांत चौबे को क्लीन चिट दे दी. लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि डीएसपी के पास मौजूद एसपी का सरकारी मोबाइल अगर लड़की उठाकर नहीं ले गयी और वह वाकई चोरी ही हुआ था पुलिस ने कार्रवाई में लीपापोती क्यों की. डीआईजी शिवदीप लांडे ने कहा कि सरकारी मोबाइल चोरी होने के बाद डीएसपी अमरकांत चौबे पर मामले की लीपापोती करने का आरोप सही है. लेकिन लड़की मंगवाने का आऱोप गलत है. डीआईजी ने कहा कि सरकारी मोबाइल चोरी होने के बाद उसका FIR दर्ज कर पुलिस को छानबीन करनी चाहिये थी लेकिन डीएसपी ने सिर्फ सनहा दर्ज कर पैचअप करने की कोशिश की. डीआईजी ने कहा कि इस गलती के लिए डीआईजी पर कार्रवाई की जायेगी।
SDPO पर सख्त कार्रवाई की सिफारिश
DIG शिवदीप लांडे ने कहा कि उन्होंने पूरे मामले की रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेज दिया है. अपनी रिपोर्ट में उन्होंने मधेपुरा के एसडीपीओ अजय नारायण यादव को पद से हटाने, उन्हें निलंबित करने समेत दूसरी सख्त कार्रवाई की अनुशंसा की है. वहीं, लड़की मंगवाने के मामले में क्लीन चिट पाने वाले डीएसपी अमरकांत चौबे ने चूंकि मोबाइल चोरी के बाद सही कार्रवाई नहीं की इसलिए उन्हें पद से हटाने औऱ उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है।
डीआईजी ने बताया कि महिला का वीडियो सहरसा के सदर थाने में बनाया गया था. जिस समय महिला सदर थाने में बोल रही थी उस समय वहां पुलिस के टेक्नीकल टीम के दो स्टाफ, पुलिस के दो SI और एक महिला सिपाही मौजूद थी. उन सबों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है।
खबर चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे डीआईजी
डीआईजी शिवदीप लांडे ने कहा कि महिला का जो वीडियो वायरल हुआ उसमें लगाये जा रहे आरोप गलत साबित हुए. लेकिन फिर भी कई समाचार माध्यमों में काफी गलत खबरें चलायी गयीं. ऐसे में सहरसा, मधेपुरा औऱ सुपौल के एसपी को निर्देश दिया गया है कि वे ऐसी खबर चलाने वालों के खिलाफ FIR करें. वहीं पुलिस मुख्यालय को पत्र भेजा गया है कि जहां कभी भी ऐसी खबर चली है वहां के एसपी को खबर चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा जाये.