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15-Dec-2020 08:10 AM
PATNA : गिरफ्तारी के बाद कुख्यात रवि गोप के बेल पर छूट जाने के मामले में जांच रिपोर्ट में पेंच फंस गया है। रवि गोप के मामले में जांच का जिम्मा पटना के सिटी एसपी वेस्ट को दिया गया था और सोमवार को उन्होंने अपनी रिपोर्ट सौंप दी। लेकिन पटना पुलिस की तरफ से यह रिपोर्ट गृह विभाग को अब तक नहीं भेजी जा सकी है। अब पटना पुलिस से जिला प्रशासन के माध्यम से फुलवारीशरीफ जेल के जेलर से पूछताछ करने की तैयारी में है। पटना पुलिस का रवैया देखकर लग रहा है कि कहीं न कहीं इस मामले में लीपापोती का खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है। भले ही पटना पुलिस के वरीय अधिकारी रवि गोप के मामले में गंभीरता दिखा रहे हों लेकिन कुख्यात के बेल पर निकल जाने के मामले में पुलिस अपने ही जिम्मेदार अधिकारियों को लेकर नरम दिख रही।
सूत्रों की माने तो सिटी एसपी वेस्ट ने जो जांच रिपोर्ट दी है उसमें किसी भी पुलिस से अधिकारी पर कार्यवाई को लेकर कोई अनुशंसा नहीं की गई है, यानी यह बात बिल्कुल तय है कि रवि गोप मामले में लीपापोती कर दी गई है. पटना पुलिस का रवैया बेहद ढोल बोल रहा है और अब इस मामले को और लंबा खींचने के लिए इसमें नया पेंच फसाया गया है. पटना पुलिस जिला प्रशासन के माध्यम से जेलर से पूछताछ करने वाली है. पटना के सीनियर एसपी उपेंद्र शर्मा पहले ही कह चुके हैं कि 9 दिसंबर को कोर्ट से प्रोडक्शन वारंट ले लिया जाएगा. यह बात जेलर को बताई गई थी और कहा गया था कि 11 बजे तक रवि गोप को जेल से ना छोड़े. फिर भी उसे सुबह 8 बजे छोड़ दिया गया. पटना पुलिस इस मामले में अपनी गिरेबान की बजाय जेल प्रशासन का दाग दिखाने की कोशिश कर रही है.
जेल अधीक्षक सत्येंद्र कुमार पहले ही कह चुके हैं कि जेल मैनुअल के हिसाब से रवि को जेल से छोड़ा गया था. जेल मैनुअल कहता है कि किसी भी कोर्ट से अगर बंदी की रिलीजिंग आर्डर आ जाए तो उसे छोड़ देना है और अगर हमसे यह पूछा जाए कि कोर्ट के ऑर्डर के बाद बंदी को क्यों नहीं छोड़ा गया तो हम क्या जवाब देते. जेल कोर्ट के आदेश पर चलता है. इस पूरे मामले में जेल प्रशासन का हवाला देते हुए प्रशासन के ठीकरा उनके ऊपर फोड़ना चाहता है. पटना पुलिस यह मानने को तैयार नहीं है कि उसकी नाकामियों की वजह से रवि को अरेस्टिंग के बाद बेल पर निकलने में कामयाब रहा और फिर नेपाल भागने में.