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24-Aug-2023 07:45 AM
By First Bihar
PATNA : बिहार की सत्तारूढ़ पार्टी जेडीयू में शायद ही कोई कार्यकर्ता हो, यहां हर कोई किसी न किसी तरह से पार्टी का पदाधिकारी ही है। अब तक जदयू अपने पार्टी में सैकड़ो उपाध्यक्ष महासचिव और सचिव बन चुकी है और जो बच गए हैं उन्हें राजनीतिक सलाहकार समिति का सदस्य बना दिया गया है। ऐसे में अब जेडीयू ने अपनी नई कार्यसमिति का ऐलान किया है। इस कार्यसमिति में 98 नेताओं को जगह दी गई है। इस बीच जो सबसे बड़ी चर्चा है वह यह है कि जदयू के इस बार के कार्य समिति से पार्टी के राज्यसभा सांसद हरिवंश प्रसाद का पत्ता कट गया है।
जदयू के तरफ से जारी लिस्ट में कार्यकारिणी के पदाधिकारी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के अलावा मगनी लाल मंडल को उपाध्यक्ष, केसी त्यागी को विशेष सलाहकार सहर मुख्य प्रवक्ता और आलोक सुमन को कोषाध्यक्ष बनाया गया है। लेकिन गोद करने वाली बात यह है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यों की लिस्ट में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह का नाम शामिल नहीं किया गया है।
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 22 महासचिव और 7 सचिव शामिल है। बिहार सरकार के मंत्री में से संजय झा को महासचिव बनाया गया है। जबकि विजेंद्र प्रसाद यादव, विजय कुमार चौधरी, अशोक चौधरी, श्रवण कुमार, लेसी सिंह, मदन सहनी, शीला मंडल जयंत राज, सुनील कुमार, जमा खान और रत्नेश सदा को कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया है। इसके अलावा मणिपुर के विधायक हाजी अब्दुल नासिर, नागालैंड के विधायक ज्वेंगा सेब को भी शामिल किया गया है लेकिन इस सूची में कहीं भी हरिवंश प्रसाद सिंह का नाम नहीं शामिल किया गया है।
इधर, हरिवंश प्रसाद को इस लिस्ट में जगह नहीं मिलने के पीछे की एक मुख्य वजह बताई जा रही है कि एनडीए से अलग होने के बाद सीएम नीतीश कुमार लगातार बीजेपी पर हमलावर हैं। वो लगातार विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर बीजेपी को हराने के लिए रणनीति बनाने में लगातार जुटे हुए हैं,। लेकिन इन सब के बाद भी एनडीए से रिश्तों को लेकर हरिवशं सिंह के जरिए नीतीश कुमार विपक्षी पार्टियों के निशाने पर रहते हैं। हरिवंश जेडीयू कोटे से अभी भी राज्यसभा के उपसभापति बने हुए हैं। जबकि कायदे से कहें तो गठबंधन टूटने के बाद यह पद दूसरे के पास चला जाना चाहिए, लेकिन एनडीए से जेडीयू के बाहर होने के बाद हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति पद पर आसीन हैं। ऐसे में अब उन्हें लिस्ट से बहार कर यह संदेश दिया गया है कि नीतीश कुमार की पार्टी को उनसे अधिक मतलब अब नहीं रह गया है।