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21-Feb-2020 07:11 AM
PATNA : बिहार में कानून का राज केवल नारा बनकर रह गया है और उस पर रत्ती भर भी अमल नहीं किया जाता। यह टिप्पणी पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार के कामकाज को लेकर की है। दरअसल पटना हाईकोर्ट में राज्य की बदहाल शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक मामले पर सुनवाई हो रही थी जिसके दौरान कोर्ट को यह टिप्पणी करनी पड़ी।
पटना हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति डॉक्टर अनिल कुमार उपाध्याय की एकल पीठ ने गुरुवार को एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। पूर्णिया में तैनात अतिथि शिक्षकों को हटाए जाने के मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह शिक्षकों को हटाने का फैसला ना करे। कोर्ट ने बिहार में शिक्षा की बदहाल स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा है कि बिहार में शिक्षा की बदतर स्थिति की सुध किसी को नहीं है। पटना हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है कि सरकार गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए क्या कर रही है। मुख्य सचिव को 23 मार्च तक कोर्ट में जवाब देना होगा।
हाईकोर्ट ने यह माना है कि बिहार में शिक्षा की स्थिति सबसे खराब है। अफसरों के बच्चे राज्य से बाहर पढ़ते हैं लिहाजा इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर सरकारी स्कूलों में अधिकारियों के बच्चों का पढ़ना अनिवार्य कर दिया जाए तभी हालात बदल सकते हैं। कोर्ट ने अतिथि शिक्षकों को हटाए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है।