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25-Apr-2020 09:28 PM
CHANDIGARH : कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए आज पूरी दुनिया जद्दोजेहद कर रही है. तमाम विकासशील और विकसित देश कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं. इसी रास्ते में भारत को एक बड़ी कामयाबी मिलती हुई दिख रही है. क्योंकि वैकल्पिक दवा को लेकर पीजीआई चंडीगढ़ को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. पीजीआई चंडीगढ़ ने दावा किया है कि कोरोना वायरस की वैकल्पिक दवा के तौर पर शुरू किए सेफ्टी ट्रायल में सकारात्मक परिणाम मिले हैं.
पीजीआई चंडीगढ़ ने कुष्ठ रोग के इलाज में दी जाने वाली दवा माइकोवैक्टेरियम डब्ल्यू (MW) वैक्सीन को 6 मरीजों पर आजमाया है, जिसके सकारात्मक परिणाम नजर आए हैं. पीजीआई का दावा है कि जिन्हें कोरोना ट्रीटमैंट के दौरान ऑक्सीजन की जरूरत थी, उन मरीजों को MW वैक्सीन की 0.3 एम.एल दवा का इंजेक्शन देने से काफी सुधार हुआ है.
दो दिन पहले काउंसिल ऑफ साइंस एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च (CSIR) ने कोरोना वायरस पर कुष्ठ रोग में इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन माइकोवैक्टेरियम डब्ल्यू (MW) का क्लीनिक ट्रायल की मंजूरी दी थी. पीजीआई चंडीगढ़ के अलावा कोरोना मरीजों पर इस दवा का ट्रायल ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैडिकल साइंस (एम्स) दिल्ली और भोपाल में भी किया जा रहा है. चंडीगढ़ के पीजीआई में इस समय कोरोना के 12 मरीजों का इलाज चल रहा है.
पीजीआई प्रबंधन का कहना है कि इन मरीजों पर डॉक्टरों ने लगातार तीन दिन तक यह दवा प्रयोग की और पाया गया कि मरीज पर वैक्सीन का इस्तेमाल बिल्कुल सुरक्षित और सकारात्मक है. बता दें कि इस दवा का इस्तेमाल पहले कुष्ठ, तपेदिक और निमोनिया ग्रस्त पेशेंट्स पर भी किया गया था और उनमें भी दवा के इस्तेमाल को सुरक्षित पाया गया था. अब कोरोना के पेशेंट्स पर भी दवा सुरक्षित पाई गई है.
पीजीआई चंडीगढ़ ने भारत सरकार के विश्वास बरकरार रखा है. अगर इसको सरकार से मंजूरी मिल जाती है तो आने वाले दिनों में यह वैक्सीन कोरोनो के मरीजों पर और जगहों पर भी आजमाया जाएगा. CSIR गुजरात की फार्मा कंपनी कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड के साथ मिलकर MW वैक्सीन का कोरोना वायरस पर क्लीनिकल ट्रायल आगे भी जारे रहेगी. इस क्लीनिकल ट्रायल में PGI चंडीगढ़ के साथ दिल्ली एम्स और भोपाल के एम्स को भी मंजूरी मिली है.
पीजीआई डायरेक्टर प्रो. जगत राम के ने इससे पहले ही कहा था कि ड्रग के ट्रायल को लेकर एथिकल कमेटी से बात चल रही है. पीजीआई चंडीगढ़ के पलमोनरी डिपार्टमेंट को एचओडी प्रो. आशुतोष अग्रवाल और रितेश अग्रवाल इस पर काम करेंगे. इजाजत मिलते ही ट्रायल शुरू कर दिया गया है. मरीजों की हलात में काफी सुधार देखें जा रहे हैं. इस कोरोना वैक्सीन को सीएसआईआर (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च) का भी योगदान दिया जा रहा है. यह वैक्सीन अपने पहले चरण से गुजर चुकी है. जिसके रिजल्ट अच्छे रहे हैं. क्लीनिकल ट्रायल को 3 चरणों में पूरा किया जायेगा.