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15-Oct-2024 06:34 PM
By FIRST BIHAR
PATNA: बिहार सरकार ने स्कूलों के शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए नयी स्थानांतरण नीति की अधिसूचना सोमवार को जारी कर दी है. इसके बाद ट्रांसफर-पोस्टिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. लेकिन अब बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ ने सरकार को बड़ी चेतावनी दी है. शिक्षक संघ ने कहा है कि सरकार ने ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर जो नयी नीति बनायी है, उससे राज्य में शिक्षा व्यवस्था चरमरा जायेगी. इसलिए तत्काल सामूहिक तबादले पर रोक लगायी जाये और नई नीति की गड़बड़ियों को दूर किया जाये.
स्थानांतरण नीति में गड़बड़ी ही गड़बड़ी
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह और महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. शिक्षक संघ ने कहा है कि ट्रांसफर पोस्टिंग की नयी नीति में ढ़ेर सारी गड़बड़ी है. नयी नीति के मुताबिक राज्य के 30 जिले के पुरूष शिक्षकों को अपने गृह अनुमंडल को छोड़कर उसी जिले में पदस्थापित करने का फैसला लिया गया है. लेकिन बाकी 08 जिले के शिक्षकों के लिए ऐसा प्रावधान नहीं किया गया है. 8 जिलों के शिक्षकों को जिला-बदर करने की सजा क्यों दी जा रही है.
माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष और महासचिव ने मुख्यमंत्री से कहा है कि शिक्षक संघ ने कई बार आपसे लिखित और व्यक्तिगत रूप से मिलकर शिक्षकों के ऐच्छिक स्थानान्तरण की व्यवस्था करने की मांग की थी. लेकिन इस पर कोई विचार नहीं किया गया. शिक्षा विभाग ने बगैर सही राय विचार किये नयी ट्रांसफर पॉलिसी बना दी.
सामूहिक तबादले पर तत्काल रोक लगे
माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा है कि सामूहिक तबादले पर तुरंत रोक लगना चाहिये. इससे पहले 1995 में पूरे राज्य के माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के सामूहिक तबादले से पूरी शिक्षा व्यवस्था ही चरमरा गयी थी. इसलिए राज्य सरकार ने फिर से ये अनुरोध किया जा रहा है कि राज्य के शिक्षा जगत के व्यापक हित में सामूहिक तबादले के आदेश को स्थगित किया जाय.
शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने कहा है कि नयी स्थानान्तरण/पदस्थापन नियमावली में गड़बड़ियों को दूर किया जाये. नयी पॉलिसी में पति-पत्नी की बीमारी या दिव्यांगता के आधार पर ट्रांसफर करने का नियम बनाया गया है. लेकिन माता-पिता की बीमारी को लेकर कोई प्रावधान नहीं किया गया है. इसमें माता-पिता की बीमारी या दिव्यांगता को भी अंकित किया जाय.
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने कहा है कि जो महिला शिक्षिका अपने मायके अथवा ससुराल में सुविधाजनक आवासीय व्यवस्था के कारण तनावमुक्त होकर बेहतर अध्ययन-अध्यापन कर रही है, उनका तबादला नहीं किया जाना चाहिये. शिक्षा विभाग के पिछले कई आदेश से विवाद खड़ा हो चुका है. बार-बार पूर्व से निर्धारित छुट्टियों में कटौती एवं मनमाने ढंग से शिक्षा विरोधी नियमावली में प्रावधानों की परम्परा को खत्म किया जाना चाहिये.
माध्यमिक शिक्षक संघ ने कहा है कि सरकार को शिक्षक संगठनों के साथ संवादहीनता को भी खत्म करना चाहिये और शिक्षकों से संबंधित मामलों में संघ की राय लेनी चाहिये. आपसी संवाद नहीं होने से सारी गलतफहमियाँ उत्पन्न होती हैं और सरकार शिक्षकों को न्यायालय जाने के लिए विवश करती है. इसलिए बेहतर स्थिति यह होगी कि लोकतांत्रिक मर्यादा की रक्षा और शिक्षा के व्यापक हित में ऐच्छिक स्थानान्तरण की जाये. पुरूष शिक्षकों के लिए भी गृह अनुमंडल की वाध्यता समाप्त की जाय. तभी शिक्षक तनावमुक्त होकर बेहतर अध्ययन-अध्यापन कर सकेंगे.