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03-Jun-2022 07:14 AM
PATNA: बिहार सरकार ने राज्य में अपने खर्च से जातीय जनगणना कराने का फैसला किया था, जिसके बाद गुरुवार को सीएम नीतीश ने कैबिनेट की बैठक बुलाई थी। अब कैबिनेट ने भी बिहार में जातीय जनगणना कराने पर मुहर लगा दी है। आपको बता दें, जातीय आधारित गणना कराने के लिए सरकार कुल 500 करोड़ खर्च करने वाली है। इसके लिए 9 महीने की समय सीमा भी तय कर ली गई है।
बिहार की लगभग 14 करोड़ आबादी की जातीय जनगणना होनी है। इस दौरान उनकी आर्थिक गणना भी की जाएगी, जिससे पता चल पाएगा कि कौन कितना गरीब है और कौन आर्थिक रूप से दुरुस्त है। जनगणना को लेकर बिहार के चीफ सेक्रेटरी आमिर सुबहानी ने जानकारी दी है कि सीएम नीतीश की अध्यक्षता में गुरुवार को कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें राज्य सरकार ने अपने खर्च से जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया है। अब इसकी जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग को सौंप दी गई है। जिलों में गणना के सम्पूर्ण काम के लिये जिलाधिकारी यानी DM नोडल अधिकारी होंगे।
जातिगत जनगणना में बिहार सरकार 500 करोड़ की लागत लगाएगी। इससे जुड़ी जो ताज़ा जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक़ जातीय आधारित जनगणना की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है, जो काम करीब 9 महीने में पूरा कर लिया जाएगा। गौरतलब है कि बिहार में जातिगत जनगणना की मांग तेज़ी से बढ़ रही थी। इसको लेकर बिहार के सभी राजनीतिक पार्टियों ने दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की थी। हालांकि पीएम मोदी ने इस मांग को पूरा नहीं किया। इसके बाद बिहार सरकार से अपने खर्च से जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया है।