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30-May-2021 07:37 AM
PATNA : बिहार में एक बार फिर कोरोना की जांच में बडे पैमाने पर फर्जीवाडा उजागर हुआ है. मुजफ्फरपुर से लेकर भागलपुर जैसे जिलों में बडे पैमाने पर गडबडी सामने आय़ी है. स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे लोगों को जांच रिपोर्ट भेजी जिन्होंने कभी सैंपल दिया ही नहीं. जांच में सैंपल देने वालों का जो मोबाइल नंबर सरकारी बही खाते में दर्ज किया गया है उसमें से 25 फीसदी नंबर गलत निकले हैं. हद देखिये 70 फीसदील लोगों को डेढ़ महीने बाद एंटीजेन टेस्ट की रिपोर्ट भेजी गयी, जिसका परिणाम सिर्फ 15 मिनट में आता है. हम आपको बता दें कि कोरोना की पहली लहर के समय भी बिहार में बडे पैमाने पर कोरोना टेस्टिंग में घोटाला उजागर हुआ था. अब दूसरी लहर में भी यही देखने को मिल रहा है.
एक दैनिक अखबार की जांच में खुलासा
बिहार में कोरोना जांच को लेकर एक दैनिक अखबार ने पडताल किया है. दो जिलों मुजफ्फरपुर औऱ भागलपुर में की गयी पड़ताल में चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. केंद्र सरकार के कोविड प्रोटोकॉल के मुताबिक कोराना की हर जांच की रिपोर्ट नेशनल पोर्टल पर अपलोड करना है. लेकिन मुजफ्फरपुर में 90 हजार रिपोर्ट अपलोड ही नहीं की गयी. वहीं भागलपुर में 30 हजार जांच नेशनल पोर्टल पर अपलोड नहीं किया गया.
स्वास्थ्यकर्मियों को ही भेजा फर्जी जांच रिपोर्ट
बिहार में कोरोना जांच में फर्जीवाडे की हद देखिये. मुजफ्फरपुर में स्वास्थ्य विभाग में काम कर रहे कई लोगों को फर्जी जांच रिपोर्ट भेज दी गयी. उन्होंने कभी सैंपल दिया ही नहीं था लेकिन जांच रिपोर्ट आ गयी. मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल के डाटा एंट्री ऑपरेटर अमन कुमार के मोबाइल पर मैसेज आय़ा कि उनकी कोराना टेस्ट निगेटिव आय़ी है. अमन कुमार का कहना है कि उन्होंने कभी सैंपल दिया ही नहीं. सदर अस्पताल के ही डायलिसिस यूनिट में काम कर रहे भास्कर के मोबाइल पर मैसेज आय़ा कि शीला देवी कोरोना निगेटिव हैं. उत्तर प्रदेश के निवासी राजीव दास के मोबाइल नंबर पर किसी प्रदीप दास के निगेटिव होने की रिपोर्ट गयी. राजीव दास लंबे अर्से से बिहार आय़े ही नहीं हैं. मनियारी थाने में पोस्टेड सिपाही जयमंगल साह के मोबाइल पर जब कोरोना की जांच रिपोर्ट मिली तो वे हैरान रह गये उनके मोबाइल पर किसी महावीर चौहान की जांच रिपोर्ट भेज दी गयी.
डेढ़ महीने बाद भेजी गयी रिपोर्ट, वह भी गलत
मुजफ्फरपुर में अप्रैल में जांच के लिए सैंपल देने वालों को पिछले चार-पांच दिनों में जांच रिपोर्ट भेजी जा रही है. ऐसे 374 लोगों की जानकारी मिली है जिनके मोबाइल पर एक से डेढ महीने बाद जांच रिपोर्ट भेजी गयी है. कई ऐसे लोगों को निगेटिव होने की रिपोर्ट भेजी गयी जो एंटीजेन टेस्ट के दौरान पॉजिटिव पाये गये थे. एक दर्जन लोगों ने बताया कि उन्होंने कभी सैंपल ही नहीं दिया लेकिन उनकी निगेटिव रिपोर्ट भेजी गयी है.
भागलपुर में भी बडा फर्जीवाडा
भागलपुर में तो इससे भी बड़ा फर्जीवाडा सामने आ रहा है. 47 ऐसे लोग मिले हैं जिन्हें कभी सैंपल ही नहीं दिया लेकिन उनकी आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट भेज दी गयी है. 24 ऐसे लोग मिले जिन्होंने तीन-चार दिन पहले एंटीजेन टेस्ट कराया था उनके सामने ही इसका रिजल्ट भी आ गया था जिसमें वे निगेटिव पाये गये थे. लेकिन बाद में उनके मोबाइल पर रिपोर्ट भेजी गयी है कि वे पॉजिटिव हैं. पूर्णिया की रहने वाली सोनी देवी ने कभी सैंपल ही नहीं दिया. 18 मई को भागलपुर से उनके मोबाइल पर रिपोर्ट आय़ी कि बोनी देवी नाम की महिला कोरोना पॉजिटिव हैं. भागलपुर के पीरपैंती की पल्लवी कुमारी ने 15 मई को एंटीजेन टेस्ट करायी, उसमें वे निगेटिव पायी गयीं. लेकिन 19 मई को उन्हें रिपोर्ट भेजा गया कि उनके आरटीपीसीआऱ टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव है.
स्वास्थ्य अधिकारी मामले को रफा दफा करने में जुटे
बिहार में एक बार फिर से कोरोना जांच घोटाला उजागर होने के बाद स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी उसे रफा दफा करने में जुटे हैं. मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल में कोरोना जांच के नोडल पदाधिकारी डॉ अमिताभ सिन्हा ने कहा कि बगैर जांच कराये रिपोर्ट आने के मामले की जांच करायी जायेगी. गडबड़ी हुई होगी तो कार्रवाई होगी. मुजफ्फरपुर के सकरा में 5 लैब टेक्नीशियन एंटीजेन किट की हेराफेरी में गिरफ्तार किये जा चुके हैं. डॉ अमिताभ सिन्हा ने स्वीकार किया कि 90 हजार एंटीजेन टेस्ट की जांच रिपोर्ट को नेशनल पोर्टल पर अपलोड नहीं किया जा सका है.
वहीं भागलपुर के सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्ना ने कहा कि जो गडबडी सामने आ रही है उसकी जांच करायी जायेगी. उन्होंने कहा कि 30 हजार रैपिड एंटीजेन टेस्ट की रिपोर्ट को नेशनल पोर्टल पर अपलोड नहीं किया गया था, उसे पूरा कर दिया गया है.