PATNA : AIMIM यानि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन चलाने वाले असदुद्दीन ओवैसी को बिहार की सियासी जमीन अपने माकूल नजर आ रही है. लिहाजा ओवैसी की पार्टी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में बिहार की तमाम मुस्लिम बहुल सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी शुरू कर दी है. ये दीगर बात है कि पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी के इरादों को बिहार ने करारा झटका दिया था. लेकिन लोकसभा चुनाव में किशनगंज में मिले वोटों ने उनके हौंसले को बल दिया है.
ओवैसी की पार्टी का इरादा
ओवैसी की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान ने एलान किया है कि उनकी पार्टी बिहार की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा है कि अगर कोई समान विचारधारा वाली पार्टी उनसे तालमेल की पहल करती है तो वे उसके साथ समझौता कर चुनाव लड़ेंगे. लेकिन बिहार में किसी पार्टी ने ओवैसी की विचारधारा का समर्थन नहीं किया है. लिहाजा किसी मुख्यधारा की पार्टी से समझौता हो पाना कतई संभव नहीं है. ऐसे में AIMIM ने मुस्लिम वोटरों की बहुतायत वाली सीटों की पहचान करनी शुरू कर दी है. उन्हीं सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी की जा रही है. ओवैसी की पार्टी का जोर सीमांचल की दो दर्जन सीटों के साथ साथ दरभंगा,मधुबनी, पूर्वी चंपारण के एक दर्जन सीटों पर है जहां मुसलमान वोटरों की तादाद अच्छी खासी है. लिहाजा अभी से ही तकरीबन तीन दर्जन सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी शुरू कर दी गयी है.
लोकसभा चुनाव से मिली ताकत
ओवैसी की पार्टी ने 2015 में बिहार विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था. बिहार की 6 सीटों पर AIMIM के उम्मीदवार थे. खुद असदुद्दीन ओवैसी ने किशनगंज में कई दिनों तक डेरा डाले रखा था. लेकिन जीत की बात तो दूर रही, 6 में 5 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी. ओवैसी की पार्टी को लोकसभा चुनाव परिणाम ने साहस दे दिया है. लोकसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने किशनगंज सीट से अपने उम्मीदवार अख्तरूल ईमान को मैदान में उतारा था. AIMIM के उम्मीदवार को तकरीबन तीन लाख वोट मिले. हालांकि ईमान तीसरे नंबर पर रहे लेकिन चुनाव जीतने वाले कांग्रेस के मो. जावेद को उनसे सिर्फ 72 हजार वोट ज्यादा मिले. लोकसभा चुनाव में एक सीट पर तीन लाख वोट आने के बाद AIMIM के हौंसले बुलंद है. ओवैसी को लग रहा है कि बिहार में उनका वोट बैंक खडा हो सकता है. लिहाजा 2020 के लिए अभी से ही रणनीति तैयार की जा रही है.