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                            02-Dec-2021 07:45 AM
PATNA: बिहार पुलिस के एक डीआईजी की जांच-पड़ताल में सनसनीखेज खुलासा हुआ है. पुलिस का ये बड़ा अधिकारी एजेंटे रखकर थानों से वसूली कराता था. बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने अपनी जांच में यही रिपोर्ट दी है. इसके बाद राज्य सरकार ने आरोपी डीआईजी को सस्पेंड कर दिया है.
जहां बुधवार की रात राज्य सरकार ने मुंगेर के डीआईजी रह चुके शफीउल हक को सस्पेंड करने की अधिसूचना जारी कर दी है. बता दें शफीउल हक पर पुलिस के छोटे पदाधिकारियों से वसूली कराने का गंभीर आरोप लगा है. मुंगेर का डीआईजी रहते हुए उन्होंने जमकर वसूली करायी. हालांकि पिछले 6 महीने से वे पुलिस मुख्यालय में वेटिंग फॉर पोस्टिंग थे. सरकार ने उन्हें सस्पेंड करते हुए निलंबन के दौरान पटना आईजी के कार्यालय में हाजिरी लगाने को कहा है.
सरकार को मिली आर्थिक अपराध इकाई यानि EOU की रिपोर्ट के अनुसार मुंगेर के डीआईजी रहते शफीउल हक एजेंट रखकर पैसे की वसूली कराते थे. रिपोर्ट कहती है कि शफीउल हक ने एक सब इंस्पेक्टर मो. उमरान के साथ साथ एक निजी एजेंट को वसूली को लिए रखा था. दोनों ने डीआईजी को देने के लिए कनीय पुलिस अधिकारियों एवं कर्मियों से बड़े पैमाने पर अवैध राशि की उगाही की. EOU की जांच में प्राथमिक तौर पर ये आरोप सही पाये गये.
EOU की रिपोर्ट में कहा गया है कि अवैध वसूली करने वाले मो. उमरान के गलत काम की जानकारी होने के बावजूद डीआईजी ने कोई कार्रवाई नहीं की, इससे ये स्पष्ट होता है कि वसूली के इस खेल में डीआईजी की भी सहभागिता थी. वसूली करने वालों के खिलाफ कार्रवाई न करना डीआईजी को भ्रष्टाचार के रूप में स्थापित करता है. सरकारी सूत्र बता रहे हैं कि EOU के पास ऐसे कई सबूत हैं जिससे अवैध वसूली के खेल में डीआईजी भी शामिल है. जानकारी के अनुसार डीआईजी वसूली के लिए अपने एजेंटों से लगातार मोबाइल पर संपर्क में रहते थे.
बिहार सरकार के गृह विभाग ने कहा है कि डीआईजी शफीउल हक के संदिग्ध आचरण और उन पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उनके खिलाफ विस्तृत जांच के लिए विभागीय कार्यवाही चलाने का भी फैसला लिया गया है. फिलहाल उन पर लगे आऱोपों के मद्देनजर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है. सस्पेंशन की अवधि में उनका ऑफिस पटना आईजी के कार्यालय में होगा.
आपको बता दें कि शफीउल हक मुंगेर के डीआईजी हुआ करते थे. पिछले 19 जून को मुंगेर से उनका ट्रांसफर कर दिया गया था. दरअसल राज्य सरकार को सी दौरान डीआईजी के खिलाफ गंभीर शिकायतें मिली थी. उसके बाद उनका मुंगेर से ट्रांसफर कर पुलिस मुख्यालय बुला लिया गया था. पुलिस मुख्यालय में भी उन्हें वेटिंग फॉर पोस्टिंग रखा गया था. इस बीच उनके खिलाफ ईओयू की जांच भी जारी थी, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की गयी.