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RJD review meeting : राजद ने शुरू की चुनावी हार की मंथन प्रक्रिया, 26 नवंबर से 9 दिसंबर तक चलेगी समीक्षा बैठकें

राजद ने विधानसभा चुनाव में हार के कारणों का विश्लेषण करने के लिए 26 नवंबर से 9 दिसंबर तक समीक्षा बैठकें आयोजित करने का निर्णय लिया है। बैठक में प्रत्याशी और पदाधिकारी शामिल होंगे।

RJD review meeting : राजद ने शुरू की चुनावी हार की मंथन प्रक्रिया, 26 नवंबर से 9 दिसंबर तक चलेगी समीक्षा बैठकें

26-Nov-2025 10:10 AM

By First Bihar

RJD review meeting : विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अब आत्ममंथन और समीक्षा की व्यापक प्रक्रिया शुरू कर दी है। बीते दिनों नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव की अध्यक्षता में हुई पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि चरणबद्ध तरीके से सभी प्रत्याशियों, जिलाध्यक्षों और प्रमंडल स्तरीय पदाधिकारियों के साथ विस्तृत समीक्षा की जाएगी। यह समीक्षा 26 नवंबर से शुरू होकर 9 दिसंबर तक चलेगी, जिसमें चुनावी रणनीति से लेकर संगठन की मजबूती तक हर पहलू पर विस्तार से चर्चा होगी।


पहला चरण: 26 नवंबर से 4 दिसंबर तक मंथन

राजद कार्यालय द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार समीक्षा का पहला चरण 26 नवंबर से 4 दिसंबर तक आयोजित किया गया है। इस अवधि में उन सभी सीटों की समीक्षा होगी, जहां पहले चरण में मतदान हुआ था। शुरुआत मगध प्रमंडल के नेताओं और प्रत्याशियों के साथ होगी। इसमें उम्मीदवारों से लेकर स्थानीय नेताओं तक को बुलाया गया है ताकि जमीनी स्थिति की वास्तविक रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व तक पहुंच सके।


पहले चरण की बैठक में प्रत्याशियों से बूथवार प्रदर्शन, मतदान दिन की चुनौतियों, स्थानीय समीकरणों और चुनाव प्रचार सामग्री के प्रभाव जैसे मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होगी। यह भी देखा जाएगा कि किन सीटों पर अपेक्षा के अनुरूप वोट ट्रांसफर नहीं हुआ और किन क्षेत्रों में संगठनात्मक कमजोरी सामने आई।


दूसरा चरण: 5 दिसंबर से 9 दिसंबर तक गहन विश्लेषण

समीक्षा का दूसरा चरण 5 दिसंबर से शुरू होगा और 9 दिसंबर तक चलेगा। इस चरण में उन सीटों के प्रत्याशियों से फीडबैक लिया जाएगा, जहां अंतिम चरणों में वोट डाले गए थे। बैठक में मतदान पैटर्न, बूथ लेवल मैनेजमेंट, सहयोगी दलों की भूमिका, उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया और गठबंधन की रणनीति जैसे मुद्दों का गहन विश्लेषण किया जाएगा।


राजद नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि इस बार समीक्षा महज औपचारिकता नहीं होगी, बल्कि हर सीट पर हार या कम अंतर से हार के कारणों की सटीक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। पार्टी का मानना है कि यदि समय रहते कमियों की पहचान नहीं की गई तो भविष्य के चुनावों में भी नुकसान सम्भव है।


पार्टी पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों को भी बुलावा

समीक्षा प्रक्रिया सिर्फ प्रत्याशियों तक सीमित नहीं है। प्रदेश नेतृत्व ने जिलाध्यक्षों, जिला पदाधिकारियों, युवा राजद, महिला राजद और छात्र संगठन के प्रतिनिधियों तक को शामिल करने का निर्णय लिया है। पार्टी का कहना है कि विजय या पराजय किसी एक की नहीं, बल्कि पूरी टीम की जिम्मेदारी होती है। इसलिए हर स्तर पर मौजूद कमियों की पहचान जरूरी है।


प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल इन बैठकों की अध्यक्षता करेंगे। उन्होंने सभी प्रत्याशियों और नेताओं को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों से विस्तृत रिपोर्ट के साथ बैठक में उपस्थित हों। इसमें उन्हें यह बताना होगा कि किस बूथ पर क्या स्थिति रही, कौन-से मुद्दे प्रभावी रहे, किन वर्गों का वोट अपेक्षा से कम मिला और किस वजह से प्रत्याशी मजबूत पकड़ नहीं बना पाए।


तेजस्वी यादव की भूमिका और नेतृत्व शैली पर भी चर्चा

हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि समीक्षा बैठकों में तेजस्वी यादव की नेतृत्व शैली, प्रचार में उनकी भूमिका और संगठनात्मक फैसलों पर भी बात हो सकती है। कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि प्रचार तो तेजस्वी ने दमदार किया, लेकिन संगठनात्मक तैयारियां कमज़ोर रह गईं। कई क्षेत्रों में जिलास्तर पर तालमेल की कमी भी सामने आई।


इस बार समीक्षा में 'ग्राउंड रिपोर्ट' को विशेष महत्व दिया जा रहा है ताकि अगले चुनाव की तैयारी समय रहते शुरू हो सके। माना जा रहा है कि राजद अब संगठन को नए सिरे से मजबूत करने के लिए कई स्तरों पर बदलाव कर सकती है, जिसमें जिलाध्यक्षों से लेकर फ्रंटल संगठनों के नेतृत्व तक फेरबदल संभव है।


हार को स्वीकार कर सुधार की ओर बढ़ने की कोशिश

राजद नेताओं का कहना है कि लोकतंत्र में जीत-हार एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि पार्टी इससे सीख ले और मजबूत होकर आगे बढ़े। समीक्षा बैठकों का मुख्य उद्देश्य यही है कि 2025 के लोकसभा और 2027 के विधानसभा चुनावों में किसी भी तरह की organisational weakness सामने न आए।


पार्टी सूत्रों के अनुसार, हर बैठक की रिपोर्ट एकत्र की जाएगी और अंत में एक विस्तृत दस्तावेज तैयार कर उसे तेजस्वी यादव व राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को सौंपा जाएगा। इस रिपोर्ट के आधार पर आने वाले महीनों में बड़े संगठनात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। राजद की यह समीक्षा प्रक्रिया आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति पर बड़ा असर डाल सकती है, क्योंकि इससे पार्टी की रणनीति, नेतृत्व और संगठनात्मक दिशा का भविष्य तय होगा।