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08-Nov-2025 10:57 AM
By First Bihar
Mokama Murder : बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान समाप्त हो चुका है, लेकिन पहले चरण की सबसे चर्चित और विवादित सीट मोकामा अभी भी सुर्खियों में बनी हुई है। मतदान खत्म हो जाने के बाद भी यहां पुलिस का कड़ा पहरा कायम है। कारण है चुनावी हिंसा के बीच हुई दुलारचंद यादव की हत्या, जिसके बाद से इलाके में तनाव और सियासी हलचल दोनों तेज हो गई हैं।
दूसरे चरण के मतदान को लेकर पूरे बिहार में राजनीतिक गतिविधियाँ जोरों पर हैं। जिन जिलों में दूसरे चरण में वोटिंग होनी है, वहां सुरक्षा बलों की तैनाती शुरू हो चुकी है। लेकिन मोकामा में हालात इतने संवेदनशील हैं कि यहां पहले चरण का मतदान खत्म होने के बावजूद सुरक्षा व्यवस्था ढीली नहीं की गई है। पुलिस के जवान अब भी चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं। इलाके में गश्त बढ़ा दी गई है और हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।
पुलिस मुख्यालय ने सुरक्षा की दृष्टि से मोकामा में ग्रामीण एसपी अपराजिता लोहान को 17 नवंबर तक वहीं रहने का निर्देश दिया है। पुलिस के अनुसार, यह कदम किसी भी संभावित अप्रिय घटना को रोकने के लिए उठाया गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि “स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है, लेकिन किसी भी स्थिति में कानून-व्यवस्था प्रभावित न हो, इसके लिए सतर्कता बरती जा रही है।” चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी यहां से पुलिस बल को वापस भेजा जाएगा।
दरअसल, 30 अक्टूबर को हुए मोकामा हत्याकांड ने पूरे इलाके का माहौल गरमा दिया था। बताया जाता है कि मतदान से ठीक पहले दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मृतक को गोली लगने के बाद वाहन से कुचलने की भी बात सामने आई थी, जिससे मौके पर भारी बवाल मच गया था। स्थानीय लोगों ने हत्या के पीछे राजनीतिक रंजिश की आशंका जताई थी।
हत्या के बाद पुलिस ने तेज़ी से कार्रवाई करते हुए मोकामा के चर्चित बाहुबली नेता और जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया। अनंत सिंह वर्तमान में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में बेऊर जेल में बंद हैं। हालांकि, उनके समर्थक इसे राजनीतिक साजिश बता रहे हैं। अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद से ही मोकामा और आसपास के इलाकों में तनाव का माहौल बना हुआ है।
उधर, दुलारचंद यादव की मौत के मामले में पुलिस की जांच तेज कर दी गई है। पुलिस की टीम डीप सर्च मेटल डिटेक्टर की मदद से घटना स्थल और आसपास के क्षेत्रों में तलाशी अभियान चला रही है। पुलिस का प्रयास है कि गोली का खोखा बरामद किया जा सके ताकि यह पता लगाया जा सके कि गोली किस हथियार से चली थी और किस बोर की थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि दुलारचंद के पैर में गोली लगी थी, जिससे उनकी मौत हुई।
घटना की गंभीरता को देखते हुए सीआईडी ने भी जांच अपने हाथ में ले ली है। सीआईडी की टीम मौके पर मौजूद सभी लोगों के मोबाइल कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) खंगाल रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि घटना से पहले और बाद में किन-किन लोगों के बीच बातचीत हुई थी। जांच एजेंसियां घटनास्थल के वीडियो फुटेज, मोबाइल क्लिप और सोशल मीडिया पोस्ट की भी पड़ताल कर रही हैं ताकि किसी भी सुराग तक पहुंचा जा सके।
इस बीच, प्रशासन की ओर से मोकामा में धारा 144 लागू है। सार्वजनिक सभाओं पर फिलहाल रोक लगाई गई है। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और सहयोग बनाए रखें। क्षेत्र के संवेदनशील इलाकों में लगातार फ्लैग मार्च किया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में भी बीएसएफ और जिला पुलिस की संयुक्त टीमें गश्त कर रही हैं।
वहीं दूसरी ओर, दुलारचंद यादव के परिजनों और समर्थकों में अब भी आक्रोश है। वे आरोप लगा रहे हैं कि हत्या के पीछे बड़े राजनीतिक चेहरे शामिल हैं और निष्पक्ष जांच के बिना सच्चाई सामने नहीं आ पाएगी। परिवार ने सरकार से सीबीआई जांच की मांग की है।
मोकामा सीट पर पहले चरण के दौरान 6 नवंबर को मतदान शांतिपूर्ण रहा था, लेकिन मतदान के बाद भी सुरक्षा एजेंसियों ने राहत नहीं ली। अधिकारियों का कहना है कि “स्थिति सामान्य जरूर है, लेकिन नाजुक भी है।” यही वजह है कि केंद्रीय बलों को अभी तक वापस नहीं बुलाया गया है।
मोकामा का यह मामला अब केवल एक हत्या या चुनावी हिंसा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह बिहार की सियासत में बड़ा मुद्दा बन गया है। सभी दल अपने-अपने तरीके से इस घटना को चुनावी नैरेटिव का हिस्सा बना रहे हैं। जहां जदयू इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने का उदाहरण बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे सत्ता पक्ष की नाकामी करार दे रहा है।
फिलहाल, पुलिस और प्रशासन की सख्त चौकसी के बीच मोकामा एक बार फिर बिहार की राजनीति के केंद्र में है। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि दुलारचंद यादव की हत्या के पीछे असली वजह क्या थी और किसने इस साजिश को अंजाम दिया। तब तक मोकामा का माहौल सुरक्षा घेरे में ही रहेगा।