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23-Oct-2025 10:30 AM
By First Bihar
Bihar Assembly Election : बिहार की राजनीति में एनडीए और महागठबंधन के बीच बढ़ती हलचल के बीच लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने एक बार फिर राज्य की सियासत में अपने प्रभाव का दावा किया है। चिराग पासवान ने हाल ही में कहा कि अगर राजद पिछली विधानसभा चुनाव में 80 सीटें जीतने में सफल रहा, तो इसकी सबसे बड़ी वजह हमारी रणनीति और एनडीए के साथ उनके मुकाबले का असर था। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मेरे ऊपर आरोप लगते हैं कि हमने जेडीयू की सीटें कम कर दी, लेकिन इसका मतलब है कि राजद की सीटें बढ़ गईं, और यह कोई रहस्य नहीं है।
चिराग पासवान ने आगे कहा कि पिछली चुनाव में राजद 80 सीटें जितने में सफल रहा, लेकिन अगर एनडीए की हम हिस्सा होते, तो यह संख्या इतनी बड़ी नहीं होती। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एनडीए के साथ उनका गठबंधन नहीं होना ही राजद के लिए निर्णायक साबित हुआ। उनका कहना था कि आंकड़े भी यही दर्शाते हैं कि हमने चुनाव में कितना प्रभाव डाला और किस तरह से सीटों का समीकरण बदल गया।
चिराग पासवान ने यह भी कहा कि बिहार की सबसे पुरानी पार्टी राजद और देश की पुरानी पार्टी कांग्रेस आज अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं। उनका दावा है कि एनडीए की ताकत ही यह सुनिश्चित करती है कि चुनावी समीकरण एनडीए के पक्ष में बने रहें। चिराग ने कहा कि ऐसे लोग हैं जो अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत भी नहीं रखते और हमेशा गठबंधन पर निर्भर रहते हैं।
चिराग ने मीडिया से बातचीत में यह भी जोड़ा कि अगर एनडीए और लोजपा साथ होते, तो राजद की जीत की संभावना इतनी बड़ी नहीं होती। उनका तर्क है कि एनडीए से हमारा दूर होना ही राजद के लिए चुनावी चुनौती आसान कर दी, और अगर हमारा गठबंधन नहीं होता, तो राजद के लिए इतनी बड़ी जीत पाना मुश्किल होता। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि चुनाव केवल वोटों की संख्या नहीं, बल्कि रणनीति और गठबंधन की ताकत पर निर्भर करता है।
एनडीए के साथ लोजपा का गठबंधन बिहार में पिछले कई चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाता रहा है। चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा स्पष्ट रूप से एनडीए की मजबूती के लिए काम किया है और उसके प्रभाव से ही कई सीटों पर परिणाम तय हुए हैं। उनका यह भी कहना था कि विपक्षी दलों को अपनी रणनीति और चुनावी तैयारी पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि अकेले लड़ना आज के बिहार में आसान नहीं है।
चिराग पासवान ने यह भी कहा कि बिहार की राजनीति में गठबंधन की भूमिका को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। उन्होंने कहा कि एनडीए और लोजपा के गठबंधन ने पिछले चुनाव में कई अहम सीटें तय की और विपक्ष की रणनीतियों को चुनौती दी। उनका यह भी दावा है कि एनडीए की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विपक्षी दल अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
अंत में चिराग पासवान ने यह स्पष्ट किया कि उनकी रणनीति ने ही चुनाव में समीकरण को बदल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर लोजपा का सहयोग नहीं होता, तो आज राजद की जीत इतनी बड़ी नहीं होती। चिराग का यह बयान बिहार की आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल को और तेज कर सकता है।
बिहार की राजनीति में अब हर दल की नज़र आगामी चुनाव पर टिकी है। चिराग पासवान ने अपने बयान से यह संदेश दिया कि एनडीए और लोजपा का गठबंधन किसी भी विपक्षी पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। उनका यह दावा विपक्षी दलों के लिए स्पष्ट चेतावनी है कि अकेले चुनाव लड़ना आज की राजनीतिक परिस्थितियों में मुश्किल है।
इस प्रकार, चिराग पासवान ने न सिर्फ अपने और अपनी पार्टी की भूमिका को उजागर किया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि बिहार की राजनीति में गठबंधन और रणनीति का महत्व कितना बड़ा है। उनके इस बयान से आगामी चुनाव की राजनीतिक गहमागहमी और बढ़ गई है।