ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar News: बिहार से दिल्ली जा रही एक्सप्रेस ट्रेन की AC बोगी में उठा धुआं, रेल यात्रियों में मचा हड़कंप; ऐसे टला बड़ा हादसा Bihar News: बिहार से दिल्ली जा रही एक्सप्रेस ट्रेन की AC बोगी में उठा धुआं, रेल यात्रियों में मचा हड़कंप; ऐसे टला बड़ा हादसा Bihar Election 2025: जन सुराज पार्टी की दूसरी लिस्ट जारी होते ही हंगामा, कार्यकर्ताओं ने प्रशांत किशोर पर टिकट बेचने के लगाए आरोप Bihar Election 2025: जन सुराज पार्टी की दूसरी लिस्ट जारी होते ही हंगामा, कार्यकर्ताओं ने प्रशांत किशोर पर टिकट बेचने के लगाए आरोप BIHAR ELCTION : क्या अकेले विधानसभा चुनाव के मैदान में होंगे तेजस्वी यादव ? सीट बंटवारे पर कहा -हमारा आज -कल में हो जाएगा Bihar Election 2025: विधानसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान को बड़ा झटका, स्टेट लेबल के नेता ने LJP (R) को कहा गुड बॉय Bihar Election 2025: विधानसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान को बड़ा झटका, स्टेट लेबल के नेता ने LJP (R) को कहा गुड बॉय UGC NET Exam Date: इस दिन होगी UGC NET परीक्षा, जानें योग्यता और आवेदन प्रक्रिया की पूरी डिटेल Bihar News: दरभंगा में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दिखाए बगावती तेवर, मैथिली ठाकुर की उम्मीदवारी का किया विरोध Bihar News: दरभंगा में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दिखाए बगावती तेवर, मैथिली ठाकुर की उम्मीदवारी का किया विरोध

Bihar assembly elections : भाकपा माले और राजद में शह -मात का खेल; सीटों को लेकर तनातनी ; पाली और घोषी पर घमासान

Bihar assembly elections : बिहार महागठबंधन में सीटों को लेकर राजद और भाकपा माले के बीच टकराव बढ़ गया है। घोषी और पालीगंज जैसी सीटों पर दोनों दलों ने अपने उम्मीदवार घोषित कर नामांकन की तैयारी शुरू कर दी है।

Bihar assembly elections : भाकपा माले और राजद में शह -मात का खेल; सीटों को लेकर तनातनी ; पाली और घोषी पर घमासान

13-Oct-2025 01:08 PM

By First Bihar

Bihar assembly elections : बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं, और एनडीए में सीटों का बंटवारा पहले ही तय कर दिया गया है। लेकिन महागठबंधन में सीटों को लेकर अब तक तनाव जारी है। गठबंधन में शामिल दो मुख्य पार्टियों—राजद और भाकपा माले—के बीच सीटों को लेकर जमकर तनातनी देखने को मिल रही है। दोनों दल फिलहाल किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। इसका कारण यह है कि एक पार्टी, यानी राजद, महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी है और दूसरी पार्टी, भाकपा माले, का स्ट्राइक रेट यानी जीतने की दर काफी अधिक है। इस वजह से दोनों एक-दूसरे को अपने-अपने दावे पर तैयार कर रहे हैं और समझौते की बजाय सीधे टकराव की स्थिति बनी हुई है।


हालांकि, इस टकराव का असर अब चुनावी मैदान पर साफ दिखने लगा है। दोनों पार्टियों ने अपनी-अपनी सीटों पर उम्मीदवारों का नाम तय कर लिया है और नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। उदाहरण के तौर पर घोषी विधानसभा सीट पर स्थिति काफी जटिल हो गई है। इस सीट पर राजद ने भूमिहार समाज के राहुल शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया था। राहुल शर्मा स्थानीय नेता हैं और उनकी उम्मीदवारी से राजद को यह उम्मीद है कि इस सीट पर उनकी पकड़ मजबूत रहेगी। लेकिन जैसे ही राजद ने उन्हें उम्मीदवार घोषित किया, भाकपा माले ने तुरंत मौजूदा सीटिंग विधायक को इसी सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया।


भाकपा माले ने इस फैसले के साथ यह संकेत भी दे दिया कि वह महागठबंधन के भीतर अपने अधिकारों और परंपरागत सीटों के अधिकार के लिए किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटने वाली है। इस बीच राजद ने भी पालीगंज सीट पर अपनी रणनीति शुरू कर दी। पालीगंज सीट पर भाकपा माले का वर्तमान विधायक संदीप सौरभ है। उन्होंने अपना नामांकन 14 अक्टूबर को करने का ऐलान भी कर दिया है। लेकिन राजद ने इस सीट पर दीनानाथ सिंह यादव को अपना उम्मीदवार तय किया  है। यही नहीं, राजद उम्मीदवार अपने प्रचार पोस्टर में लालू और तेजस्वी यादव की तस्वीरें लगाकर यह स्पष्ट कर रहे हैं कि वह राजद के समर्थन से चुनाव लड़ रहे हैं।


इस तरह महागठबंधन के भीतर सीटों की लड़ाई ने चुनावी रणनीति को और पेचीदा बना दिया है। घोषी और पालीगंज जैसी सीटों पर दोनों पार्टियों के उम्मीदवार आमने-सामने हैं, और स्थानीय जनता के लिए यह स्थिति काफी भ्रमित करने वाली हो सकती है। जहां एक तरफ राजद उम्मीदवारों को गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में ताकत का प्रतीक माना जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ भाकपा माले अपने परंपरागत अधिकार और उच्च स्ट्राइक रेट के आधार पर अपने उम्मीदवार उतार रही है।


विशेष रूप से घोषी सीट पर यह लड़ाई और अधिक दिलचस्प हो गई है। यहाँ राजद ने राहुल शर्मा को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन भाकपा माले ने खेल बदल दिया और मौजूदा विधायक को सिंबल दे दिया। इसके साथ ही नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। ऐसे में यह देखना बाकी है कि दोनों दल अपने मतदाताओं को कैसे समझाते हैं और सीटों को लेकर इस विवाद को कैसे सुलझाया जाएगा।


पालीगंज में भी स्थिति समान है। यहाँ संदीप सौरभ, जो वर्तमान में विधायक हैं, अपना नामांकन कर रहे हैं। लेकिन राजद ने अपने उम्मीदवार के रूप में दीनानाथ सिंह यादव को उतार दिया है। यह सीट वाम दल की रही है और ऐतिहासिक तौर पर वाम दल की ही जीत होती रही है। इसलिए यहाँ भी महागठबंधन के भीतर टकराव का असर साफ देखा जा सकता है।


इस पूरी स्थिति से यह स्पष्ट हो जाता है कि महागठबंधन में सीटों का “लॉक” अभी भी पूरी तरह से नहीं हुआ है। पहले यह माना जा रहा था कि वाम दल की सीटें तय हो चुकी हैं और वहां किसी भी तरह का विवाद नहीं होगा। लेकिन घोषी और पालीगंज की घटनाओं ने यह साबित कर दिया कि अभी भी महागठबंधन के भीतर गंभीर मतभेद मौजूद हैं।


इस टकराव का असर न केवल चुनावी रणनीति पर पड़ सकता है, बल्कि मतदाताओं के मन में भी भ्रम पैदा कर सकता है। अगर दोनों दल समझौते के लिए जल्द नहीं आते हैं, तो यह टकराव महागठबंधन की चुनावी संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है। साथ ही, स्थानीय नेताओं और उम्मीदवारों की सक्रियता भी इस चुनावी घमासान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।


सारांश यह कि बिहार में महागठबंधन के भीतर राजद और भाकपा माले के बीच सीटों को लेकर तनातनी अब सार्वजनिक स्तर पर स्पष्ट हो चुकी है। घोषी और पालीगंज जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर दोनों दलों के उम्मीदवार आमने-सामने हैं। यह देखना अभी बाकी है कि दोनों दल इस टकराव को किस प्रकार सुलझाते हैं और क्या महागठबंधन की एकजुटता चुनावी मैदान में कायम रह पाती है या नहीं।