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15-Nov-2025 07:12 AM
By First Bihar
Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान कहीं से यह संकेत नहीं मिलता था कि एनडीए के पक्ष में इतनी बड़ी लहर चल रही है। दो चरणों में सम्पन्न हुए चुनाव और करीब 40 दिनों की पूरी प्रक्रिया के दौरान अंदरूनी राजनीतिक माहौल को भांपने में सियासी पंडित भी चूक गए। यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चाणक्य और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी नीतीश सरकार के पक्ष में उठ रही इस बवंडरनुमा लहर का सही अनुमान नहीं लगा पाए। शाह ने बिहार में एनडीए के लिए 160 सीटों का दावा किया था, जबकि नतीजों में गठबंधन 200 के पार पहुंच गया। राज्य के अधिकांश पत्रकारों को भी एनडीए को इतनी बड़ी जीत मिलने की उम्मीद नहीं थी।
देशभर की करीब डेढ़ दर्जन एजेंसियों ने दूसरे चरण के मतदान के बाद 11 नवंबर को अपने-अपने एग्जिट पोल जारी किए थे। लगभग सभी एजेंसियों ने एनडीए की वापसी का अनुमान तो लगाया, लेकिन उसे 133 से 150 सीटों के दायरे में रखा। एक एजेंसी ने महागठबंधन की सरकार बनने का दावा कर दिया था और एक अन्य ने दोनों गठबंधनों के बीच कांटे की टक्कर की बात कही थी। लेकिन बिहार की जनता ने अपने फैसले से सभी अनुमानों और आकलनों को धता बता दिया। इतना ही नहीं, एनडीए के दो बड़े घटक दल भाजपा और जदयू भी यह नहीं समझ पाए थे कि उन्हें क्रमश: 90 और 80 फीसदी से अधिक के स्ट्राइक रेट के साथ भारी सफलता मिलने जा रही है। लोजपा (आर), हम और रालोमो ने भी क्रमश: 65, 83 और 66 फीसदी की सफलता हासिल की।
दरअसल, मौजूदा राज्य सरकार के कामकाज को जनता किस हद तक पसंद कर रही है, इसका सही आंकलन विपक्ष नहीं कर सका। नीतीश कुमार के नेतृत्व में 20 साल के शासनकाल के कार्यों पर बिहार की अधिसंख्य जनता ने एक बार फिर मुहर लगाई और एनडीए गठबंधन को अगले पांच वर्षों के लिए भारी जनादेश दिया।
एनडीए ने चुनाव घोषणा से करीब चार महीने पहले ही जमीनी तैयारी शुरू कर दी थी। राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों पर कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किए गए। जदयू, भाजपा, लोजपा (आर), हम और रालोमो – इन पांच दलों ने ‘पांच पांडव’ की तरह संगठन को बूथ स्तर से जिला और प्रमंडल स्तर तक मजबूत करने पर जोर दिया। यही एकजुटता चुनावी सभाओं में भी दिखाई दी। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समस्तीपुर के कर्पूरी ग्राम से प्रचार अभियान शुरू किया, तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत सभी घटक दलों के शीर्ष नेता मंच पर मौजूद थे।
इसके बाद पीएम, सीएम और गृह मंत्री की अलग-अलग रैलियों में भी प्रत्येक जिले के एनडीए प्रत्याशी साझा मंच पर दिखे। यह दृश्य चुनावी संदेश को और प्रभावी बनाता गया। मोदी और नीतीश की जहां भी रैलियां हुईं, वहां सभी एनडीए उम्मीदवार मंच पर मौजूद रहे और जनता से प्रत्येक एनडीए प्रत्याशी को समर्थन देने की अपील की। यही तालमेल और एकजुटता अंततः अभूतपूर्व जीत का कारण बनी।
इस चुनाव में दो चरणों के दौरान रिकॉर्ड मतदान देखने को मिला। ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की व्यापक भागीदारी ने मतदाताओं के मूड को निर्णायक रूप से प्रभावित किया। सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, जल–नल योजना, सामाजिक सुरक्षा, महिलाओं की सुरक्षा, छात्र योजनाएं और रोजगार से जुड़े मुद्दे एनडीए के पक्ष में गए।
महागठबंधन ‘इंडिया अलायंस’ शुरुआत से ही बिखरा दिखाई दिया—सीट बंटवारे से लेकर संयुक्त प्रचार तक, कहीं भी मजबूत तालमेल नहीं दिखा। कई सीटों पर आंतरिक बगावत और असंतोष ने उनके अभियान को कमजोर किया। अंततः यह असंगठितता महागठबंधन को भारी पड़ी और जनता ने साफ-साफ एनडीए को प्राथमिकता दी। बिहार चुनाव 2025 जनता के अप्रत्याशित मूड, एनडीए की मजबूत जमीनी तैयारी, नेतृत्व की एकता और सरकार के 20 वर्षों के कार्यों पर जनता के भरोसे की वजह से ऐतिहासिक परिणाम लेकर आया। वहीं, विपक्ष इसे समझने में नाकाम रहा और उसे करारी हार का सामना करना पड़ा।