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Bihar Assembly Election 2025 : अमित शाह का ऑपरेशन बिहार सफल : पहले चरण के लिए 61 कैंडिडेट ने लिया नाम वापस,BJP के बागियों के साथ PK के खिलाड़ी भी हुए मैदान से हुए आउट

बिहार विधानसभा चुनाव में 61 उम्मीदवारों ने नामांकन वापस लिया, जिसमें BJP के बागी और PK के उम्मीदवार शामिल हैं। अमित शाह की रणनीति से कई बागियों को समझाया गया।

Bihar Assembly Election 2025 : अमित शाह का ऑपरेशन बिहार सफल : पहले चरण के लिए 61 कैंडिडेट ने लिया नाम वापस,BJP के बागियों के साथ PK के खिलाड़ी भी हुए मैदान से हुए आउट

20-Oct-2025 04:54 PM

By First Bihar

Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख जारी हो चुकी है। इस बार यह चुनाव दो चरणों में होगा। पहले चरण के नामांकन प्रक्रिया में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। खास बात यह है कि पहले चरण के लिए कुल 61 उम्मीदवारों ने अपने नामांकन वापस लिया है। इसमें भाजपा के बागी उम्मीदवारों के साथ-साथ प्रशांत किशोर (PK) के कुछ उम्मीदवारों का भी नाम शामिल है।


दरअसल, पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले नेता ने तीन दिनों तक बिहार में रहकर राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने जितने भी भाजपा के नेता थे, जो अलग-अलग पार्टी या फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी बने थे, उनसे बात की। इसके बाद ये नेता सीधे निर्वाचन आयोग गए और अपना नाम वापस ले लिया। भाजपा सूत्रों के अनुसार, सभी बागी नेताओं की समस्याओं को ध्यान से सुना गया और समझाइश दी गई। इसके परिणामस्वरूप, कई बागी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस किया।


पटना साहिब विधानसभा सीट इस बार चर्चा का केंद्र रही। यहाँ बीजेपी के बागी उम्मीदवार शिशिर कुमार, जो कि पटना की मेयर सीता साहू के बेटे हैं ने नामांकन वापस लिया। शिशिर कुमार निर्दलीय चुनाव में उतरे थे क्योंकि उन्हें बीजेपी का टिकट नहीं मिला था। हालांकि, पार्टी नेतृत्व की समझाइश के बाद उन्होंने अपना नामांकन वापस लिया। इस सीट पर बीजेपी ने रत्नेश कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया है।


गोपालगंज विधानसभा सीट पर भी इसी तरह की स्थिति रही। यहाँ बीजेपी विधायक कुसुम देवी का टिकट कटने के बाद उनके बेटे अनिकेत कुमार सिंह ने निर्दलीय चुनाव में हिस्सा लिया था। लेकिन बीजेपी नेतृत्व और अमित शाह की बातचीत के बाद अनिकेत कुमार सिंह ने भी नामांकन वापस ले लिया। गोपालगंज सीट पर अब बीजेपी ने सुभाष सिंह को उम्मीदवार घोषित किया है।


तारापुर विधानसभा सीट पर वीआईपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे सकलदेव बिंद ने भी अपना नामांकन वापस किया। वह आरजेडी की तरफ से अरुण कुमार यादव को उम्मीदवार बनाए जाने से नाराज थे। लेकिन बाद में उन्होंने बीजेपी में शामिल होकर सम्राट चौधरी का समर्थन किया।


ब्रह्मपुर विधानसभा सीट पर जन सुराज के उम्मीदवार डॉ. सत्य प्रकाश तिवारी ने भी अपना नामांकन वापस लिया। वह पहले बीजेपी से टिकट न मिलने पर जन सुराज के उम्मीदवार बने थे। लेकिन बीजेपी और अमित शाह की समझाइश के बाद डॉ. सत्य प्रकाश तिवारी ने अपने नामांकन को वापस ले लिया।


बक्सर विधानसभा सीट पर बीजेपी के बागी उम्मीदवार अमरेंद्र पांडे ने अपना नामांकन वापस लिया। बीजेपी ने यहाँ आनंद मिश्रा को उम्मीदवार बनाया था। अमरेंद्र पांडे ने पहले निर्दलीय चुनाव में भाग लेने की योजना बनाई थी, लेकिन धर्मेंद्र प्रधान और अमित शाह की बातचीत के बाद उन्होंने मैदान से हटने का निर्णय लिया।


इसी तरह, जन सुराज के अन्य उम्मीदवारों ने भी अपने नामांकन वापस लिए हैं। गोपालगंज से उम्मीदवार शशि शेखर सिन्हा और ब्रह्मपुर सीट से भी उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस किया। PK के तीन प्रमुख उम्मीदवार अब तक चुनाव मैदान से हट चुके हैं। दानापुर सीट से PK के उम्मीदवार ने सिंबल मिलने के बाद नामांकन दाखिल नहीं किया।


इससे साफ है कि भाजपा नेतृत्व ने न केवल अपने बागी उम्मीदवारों को नियंत्रित किया, बल्कि अपने रणनीतिक सहयोगियों और क्षेत्रीय नेताओं के बीच तालमेल भी बनाए रखा। अमित शाह के कुशल रणनीति और संवाद के कारण कई बागी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव मैदान से अपना नाम वापस ले लिया।


पहले चरण के नामांकन वापसी ने चुनावी समीकरणों को काफी प्रभावित किया है। 61 उम्मीदवारों के हटने से चुनाव की तस्वीर और साफ हुई है। भाजपा ने बागियों और निर्दलीय उम्मीदवारों को समझाकर अपने मैदान को मजबूत किया है, वहीं PK और जन सुराज के कुछ उम्मीदवार मैदान छोड़ चुके हैं। अब पहले चरण के मतदान तक पार्टी और उनके समर्थक पूरी तरह तैयार हैं, और आने वाले चुनाव में यह रणनीति निर्णायक साबित हो सकती है।


संक्षेप में, अमित शाह और पार्टी नेतृत्व की सक्रिय रणनीति ने बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में भाजपा के लिए माहौल तय कर दिया है। बागियों और निर्दलीय उम्मीदवारों के नामांकन वापसी से भाजपा का संगठन मजबूत हुआ है और विपक्ष को भी साफ संदेश गया है कि पार्टी अपने अनुशासन और रणनीति के साथ मैदान में है।