SAHARSA: महान स्वतंत्रता सेनानी और देश के प्रथम उप प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, सूचनामंत्री, रियासत मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती देशभर में मनाई गयी। सहरसा में इस मौके पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। बैजनाथपुर के पटेल चौक पर सरदार पटेल जयंती समारोह समिति और नव निर्माण मंच द्वारा किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि ज़िला भू-अर्जन पदाधिकारी रवींद्र कुमार, विशेष अतिथि ज़िला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी नेहा कुमारी,अंचलाधिकारी अनुपम कुमारी, डॉ राणा जयराम सिंह, स्वामी दुगानंद सरस्वती, कार्यक्रम के संयोजक पूर्व विधायक किशोर कुमार,सियाराम मेहता,कोशल किशोर यादव,मधुसूदन मण्डल,नरेश जायसवाल,उमेश यादव,गणेश पटेल जी सहित सैकड़ों लोगो ने बैजनाथपुर पटेल चौक पर अवस्थित सरदार बल्लभ भाई पटेल के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
मुख्य अतिथि ने दीप प्रज्वलित कर कहा कि पटेल जी ने देश को एकता के सूत्र में बंधा। उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक किशोर कुमार को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने पटेल जी का प्रतिमा निर्माण कर पुण्य का कार्य किया है। उक्त अवसर पर नव निर्माण मंच के संस्थापक सह पूर्व विधायक किशोर कुमार ने सरदार पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित कर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हमारा भी मानना है कि देश तभी मजबूत होगा जब हम समाज को एकता के सूत्र में बांधे रख पाएंगे। सभा की अध्यक्षता अवकाश प्राप्त अंचल निरीक्षण सीताराम मेहता ने किया।
इस मौके पर पूर्व विधायक किशोर कुमार ने कहा कि सरदार पटेल देश की एकता के सूत्रधार हैं, लेकिन आज सत्ता की लालच में उसके कमजोर करने का फैशन चल रहा है। सत्ता सुख के लिए समाज का बंटवारा किया जा रहा है। आज राजनीति को जाति धर्म से अलग करना कठिन चुनौती हो गयी। देश के नेता कह रहे हैं, कांग्रेस देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाएगी, जो बेहद निंदनीय है. सरदार पटेल ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बनाए रखने की पूरजोर कोशिश की थी। राज्यों की एकीकरण में उन्होंने ऐसी ओछी राजनीति की जगह देश की एकता को जरुरी समझा था। वहीं राज्य को जातीय हिंसा में झोंकने की साजिश रची जा रही है।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल एक मजबूत, अडिग और दृढ संकल्पित व्यक्तित्व के धनी थे। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर उन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन में भगा लिया. सरदार पटेल को भारत का लौह पुरुष कहा जाता है। गृहमंत्री बनने के बाद भारतीय रियासतों के विलय की जिम्मेदारी उनको ही सौंपी गई थी। उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए 562 सौ छोटी बड़ी रियासतों का भारत में विलय कराया। देसी रियासतों का विलय स्वतंत्र भारत के लिए कठिन चुनौती थी जिसे पटेल जी ने बगैर खून-खरावा के कर दिखाया। नीतिगत दृढ़ता के लिए राष्ट्रपिता ने उन्हें सरदार और लौह पुरुष की उपाधि दी थी। बिस्मार्क ने जिस तरह जर्मनी के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी उसी तरह वल्लभ भाई पटेल ने भी आजाद भारत को एक विशाल राष्ट्र बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया। बिस्मार्क को जहाँ जर्मनी का आयरन चांसलर कहा जाता है वहीं पटेल भारत के लौह पुरुष कहलाते हैं।
उन्होंने गुजरात में शराब, छूआछूत और महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. आजादी के बाद, सरदार वल्लभभाई की कोशिशों से देसी रियासतों को भारत में मिला लिया था. हालांकि इस दौरान जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू कश्मीर की रियासतों ने भारत में विलय से इनकार कर दिया था. तब गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने समय पर उचित कार्रवाई कर उन्हें भी भारत में मिला लिया.
स्वतंत्रता पश्चात् भारत के सामने एक अन्य बड़ी समस्या रजवाड़ों से संबंधित थी. गांधी ने पटेल से कहा था, “रियासतों की समस्या इतनी कठिन है कि आप अकेले ही इसे हल कर सकते हैं.” अतः 1947 में वल्लभभाई पटेल और उनके सचिव वी. पी. मेनन ने रजवाड़ों की समस्या का अंतिम समाधान करने का निश्चय किया. इस परियोजना में उन्हें लगभग 2 वर्ष लगे. अनेक राजाओं को "कर मुक्त विशेषाधिकार" ( प्रिवी पर्स) और अन्य लाभ पेंशन देकर रजवाड़ों से हटा दिया गया. किंतु मेनन के अनुसार, सभी रियासतें इस शांतिपूर्ण क्रांति में खुशी-खुशी शामिल नहीं हुई. प्रतिरोध करने वाली रियासतों में मुख्यतः तीन, जूनागढ़, कश्मीर और हैदराबाद रियासतें शामिल थी. प्रथम, जूनागढ़ का शासक महावत खान पाकिस्तान में शामिल होना चाहता था, जबकि उसकी हिंदू जनता भारत में. इस प्रकार, पटेल ने जनमत संग्रह के माध्यम से जूनागढ़ का भारत में विलय कर लिया.
रियासतों के विलय के पश्चात भी कुछ समस्याएं थी. अलग अलग रियासतों को श्रेणीबद्ध करके भारतीय संघ में शामिल करना था. पटेल और उनके सचिव वीपी मेनन ने इस कार्य का निर्वहन बड़ी कुशलता के साथ किया. विभिन्न रियासतों को अलग अलग श्रेणी में सूचीबद्ध कर दिया गया. प्रारंभ में रक्षा, संचार तथा विदेशी मामलों के मुद्दों पर ही रियासतों का विलय किया गया था, किंतु कुछ समय पश्चात इनको पूर्णरूपेण भारत में सम्मिलित कर लिया गया तथा भारत की एकीकृत राजनीतिक व्यवस्था का अंग बना लिया गया.
आज़ाद भारत में सरदार पटेल पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय सिविल सेवाओं के महत्व को बखूबी समझा और भारतीय संघ के लिए उसकी निरंतरता को आवश्यक बताया. उनके अनुसार, सिविल सेवा एक देश को प्रशासित करने में अहम भूमिका निभाती है, न केवल कानून और व्यवस्था बनाए रखने में, बल्कि उन संस्थानों को चलाने में जो एक समाज को बाध्यकारी सीमेंट प्रदान करते हैं. इसीलिए पटेल ने भारतीय सिविल सेवाओं को “भारत का स्टील फ्रेम” की संज्ञा से विभूषित किया.
इस मौके पर त्रिभुन प्रसाद सिंह, डॉ० सुरेंद्र झा, लक्ष्मी महतो, रोहित साह, बिपिन शर्मा वार्ड पार्षद, चंदन मेहता, पूर्व मुखिया के डी शर्मा, रमेश शर्मा, रंजीत साह, अभदेश साह, हरेराम ठाकुर, राहुल रौशन शिवशंकर ठाकुर, मितिलेश झा पूर्व पार्षद, अभदेश यादव पूर्व समिति, दीनानाथ पटेल, संजय पटेल, दिनेश शर्मा, चंद्रिका साह, रमेश यादव मौजूद रहे।