SAHARSA: देश में कोरोना का कहर जारी है। महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए गरीबों को मुफ्त अनाज देने की योजना सरकार ने शुरू की। गरीबों के बीच मुफ्त राशन का वितरण कर सरकार भले ही गरीबों को राहत देने का दावा कर रही हो लेकिन सच्चाई यह है कि इन्हें मिलने वाला अनाज ऐसा है जिसे इंसान तो दूर जानवरों के खाने लायक भी यह नहीं है।
हम बात सहरसा के कहरा खाद्य गोदाम की कर रहे हैं जहां परिवहन अभिकर्ता व जिला प्रबंधक की मिलीभगत से बारिश में भिंगकर सड़े बदबूदार चावल को ग्रामीण क्षेत्रों में वितरण के लिए रखा गया है। जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों के बीच इस चावल का वितरण कर खपाने का उद्धेश्य था लेकिन डीलर इसे लेने से ना सिर्फ इनकार कर रहे है बल्कि प्रबंधकों पर कई तरह का आरोप भी लगा रहे हैं।
डीलरों ने बताया कि सड़ा हुआ चावल कोई लेना नहीं चाहता। इसे लेकर लोग डीलरों को निशाना बनाते है। डीलर के साथ मारपीट भी की जाती है। बारिश में भिंग जाने से चावल के बोरे खराब हो गये थे। उसे लौटाने के बजाए गोदाम में रखा गया है। सड़े अनाज को डीलरों को देने के लिए रखा गया है। ऐसे में यदि इस बदबूदार चावल का वितरण लोगों के बीच किया जाएगा तो हंगामा होने से कोई नहीं रोक सकता। यह चावल ऐसा है जिसे इंसान तो दूर जानवरों के खाने लायक भी नहीं है।
खाद्य निगम का संचालन प्रबंधक के बजाए डाटा ऑपरेटर कर रहे हैं। शायद यही वजह है कि यहां अनियमितता चरम पर है। जब इस बाबत गोदाम के प्रबंधक से मिलने की कोशिश की गयी तो गोदाम से नदारद दिखे। डाटा ऑपरेटर ने बताया कि सड़े हुए चावल को तत्काल गोदाम में रखा गया है। डाटा ऑपरेटर महादेव का कहना है कि बारिश से भिंगने के कारण चावल का बोरा खराब हुआ है जबकि चावल ठीक है।
इस पूरे मामले की तह तक जाए तो सच्चाई कुछ और ही है। परिवहन अभिकर्ता की लापरवाही से ट्रक पर चावल भींगकर खराब हो गया। जिसकी जानकारी जब जनवितरण प्रणाली के दुकानदारों को हुई तक इस बात की सूचना संघ को दी गयी। संघ के जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में खराब चावल उतारने का विरोध किया गया। इसकी सूचना पर जिला प्रबंधक गोदाम पहुंचे और आश्वासन देकर मामले को शांत किया।
प्रबंधक ने कहा था कि सड़ा हुआ चावल गोदाम में नहीं उतारा जायेगा। लेकिन परिवहन अभिकर्ता, जिला प्रबंधक व गोदाम प्रबंधक की मिलीभगत से इसे ग्रामीण क्षेत्रों के डीलरों के बीच खपाने के उद्देश्य से सड़े चावल को ट्रक से उतार कर गोदाम में रख लिया गया। इस मामले में जब जिला प्रबंधक से संपर्क करने की कोशिश की गयी तो वे मिलने से इनकार कर दिया। ऐसे में यह चावल डीलरों को दिया जाएगा जिसके बाद मजबुरीवश उन्हें यह चावल लोगों के बीच वितरण करना पड़ेगा।