Dhirendra Shastri: गयाजी पहुंचे बागेश्वर धाम वाले पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, पीएम मोदी को दे दी बड़ी नसीहत Dhirendra Shastri: गयाजी पहुंचे बागेश्वर धाम वाले पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, पीएम मोदी को दे दी बड़ी नसीहत vehicle Number Plate: गाड़ी मालिकों के लिए जरूरी खबर! अब पुराने नंबर प्लेट पर नहीं चलेगा बल, जानें... क्या है मामला Bihar SVU Raid: शिक्षा विभाग के उपनिदेशक वीरेंद्र नारायण सस्पेंड, 3.76 करोड़ की अवैध संपत्ति का आरोप Patna Crime News: पटना में दिव्यांग युवक की पत्थर से कुचलकर हत्या, खून से सना शव मिलने से सनसनी Patna Crime News: पटना में दिव्यांग युवक की पत्थर से कुचलकर हत्या, खून से सना शव मिलने से सनसनी Bihar Politics: नीतीश कैबिनेट की महिला मंत्री करोड़ों की संपत्ति की मालकिन, लग्जरी लाइफस्टाइल पर टिकी सबकी नजरें Jitiya vrat 2025: जितिया व्रत में दही-चूड़ा खाने की परंपरा के पीछे क्या है रहस्य? जानिए...पूरी कहानी DD Lapang: पूर्व सीएम डीडी लपांग का 93 वर्ष की उम्र में निधन, मेघालय की राजनीति में एक युग का अंत DD Lapang: पूर्व सीएम डीडी लपांग का 93 वर्ष की उम्र में निधन, मेघालय की राजनीति में एक युग का अंत
1st Bihar Published by: neeraj kumar Updated Wed, 04 Aug 2021 04:38:54 PM IST
- फ़ोटो
SAHARSA: सरकार प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा कर रही है लेकिन सहरसा से जो तस्वीर निकलकर सामने आई है उसे देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पतालों की स्थिति क्या है। हम बात सहरसा सदर अस्पताल की कर रही है जहां बड़ी लापरवाही सामने आई है।
दरअसल एक वर्ष के मासूम को सांप ने काट लिया था जिसके बाद परिजन आनन-फानन में उसे सहरसा सदर अस्पताल लेकर पहुंचे। बच्चे की स्थिति गंभीर थी इसलिए उसे अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में एडमिट कर लिया गया लेकिन अस्पताल में उस वक्त बिजली नहीं थी।
आपकों जानकर आश्चर्य होगा कि अस्पताल के जेनरेटर में डीजल नहीं था जिसके कारण पूरे अस्पताल में अंधेरा छाया हुआ था। बिजली जाने के बाद जेनरेटर संचालक डीजल लाने के लिए पेट्रोल पंप के लिए रवाना हुआ। इस दौरान करीब 45 मिनटों तक बच्चे का इलाज मोबाइल के टॉर्च लाइट में किया गया। अस्पताल प्रशासन भी पौन घंटे तक मूकदर्शक बना रहा।
बच्चे का इलाज कर रहे डॉक्टर का कहना था कि सांप काटने से बच्चे की हालत गंभीर हो गयी थी। बच्चे का तुरंत इलाज करना बेहद जरूरी था। अस्पताल में उस वक्त लाइट नहीं थी इसलिए मोबाइल टॉर्च के सहारे बच्चे का इलाज किया गया।
प्यास लगने पर कुआँ खोदने वाली कहावत सहरसा सदर अस्पताल में चरितार्थ होती दिखी। जहां बिजली गुल होने के बाद ही जेनरेटर चलाने के लिए पेट्रोल पंप से डीजल लाया गया। जबकि अस्पताल में इमरजेंसी मरीज कभी भी आ सकते हैं। इसका ख्याल अस्पताल प्रशासन को रखना चाहिए था। आखिर सदर अस्पताल में इस तरह की लापरवाही क्यों बरती गयी यह बड़ा सवाल है। मोबाइल टार्च की रोशनी में इलाज करना कितना उचित है? इन सवालों का जवाब कोसी के पीएमसीएच के नाम से प्रसिद्ध सहरसा सदर अस्पताल प्रबंधन को देना होगा।