पूर्व सांसद आनंद मोहन पर लगे गंभीर आरोप, गुंडे भेजकर जबरन जमीन लिखवाने और धमकी देने की शिकायत दर्ज

पूर्व सांसद आनंद मोहन पर लगे गंभीर आरोप,  गुंडे भेजकर जबरन जमीन लिखवाने और धमकी देने की शिकायत दर्ज

SAHARSA: पूर्व सांसद व बाहुबली आनंद मोहन पर सहरसा के एक सेवानिवृत अधिकारी ने गंभीर आरोप लगाया है। आनंद मोहन पर जबरन जमीन लिखवाने का दबाव बनाने और घर पर गुंडे भेजने की शिकायत थाने में दर्ज करायी है। जान पर खतरा बताते हुए रिटायर अधिकारी ने थाने में सनहा दर्ज कराया है। पीड़ित भवानंद राय पुलिस से एफआई दर्ज किए जाने की मांग कर रहे हैं। 


दरअसल सेवानिवृत जिला कल्याण पदाधिकारी भवानंद राय ने बाहुबली आनंद मोहन के खिलाफ थाने में सनहा दर्ज कराया है। इनका आरोप है कि आनंद मोहन के दो गुर्गे सुनील सिंह और मो. जन्नत उनके घर पर आए थे और जबरन करोड़ों की कीमत की जमीन लिखने का दबाव बना रहे थे। जब रिटायर अधिकारी ने जमीन लिखने से मना किया तो आनंद मोहन ने अंजाम भुगतने की धमकी दी। यह बात खुद रिटायर जिला कल्याण पदाधिकारी भवानंद राय ने थाने में दर्ज सनहा में कही है। 


उन्होंने बताया कि 24 जुलाई की सुबह दो लोग सुनील सिंह और मो. जन्नत उनके घर पर धमकी देने आए थे फिर उसी दिन शाम को दो और लोग को लेकर सुनील सिंह और मो. जन्नत घर पर आया हुआ था। चारों लोग शाम में उन्हें जबरन उठा ले जाने की कोशिश करने लगे। जिसका उन्होंने विरोध किया लेकिन जाते-जाते फिर धमकी दे गये। कहा कि जमीन नहीं लिखे तो अंजाम बुरा होगा। थाने में अभी सनहा दर्ज किया गया है एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश में भवानंद राय लगे हुए हैं। अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है। 


थाने में बैठे पदाधिकारी एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी कर रहा है। डीआईजी शिवदीप लांडे की पहल पर थाने सनहा दर्ज किया गया है। आनंद मोहन के आदमी के घर पर आने से पीडित भवानंद काफी परेशान है और उसका पूरा परिवार दहशत में है। परिवार के लोगों को यह लग रहा है कि कही कोई अप्रिय घटना ना हो जाए। 


गौरतलब है बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन गोपालगंज के डीएम रहे जी कृष्णैया की बर्बर हत्याकांड के आरोपी हैं। 1994 में मुजफ्फरपुर के खबरा गांव के पास गोपालगंज के डीएम की हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में उन्हें पहले फांसी और फिर आजीवन कारावास की सजा दी गयी थी। नीतीश और तेजस्वी की सरकार ने जेल कानून में बदलाव कर आनंद मोहन को रिहा कराया। बिहार सरकार की पहल के बाद सजा पूरी होने से पहले वे जेल से बाहर आए हैं। राजपूत वोटरों को अपनी ओर करने के लिए महागठबंधन की सरकार ने कानून में बदलाव लाकर आनंद मोहन को जेल से रिहा कराया था। जिसके बाद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर कोर्ट में पीआईएल दाखिल किया गया है।