नीतीश के हृदय परिवर्तन पर BJP का तीखा तंज, सम्राट बोले.. अब कानून में भी पलटी मार गए सीएम

नीतीश के हृदय परिवर्तन पर BJP का तीखा तंज, सम्राट बोले.. अब कानून में भी पलटी मार गए सीएम

PATNA: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आज अचानक हृदय परिवर्तन हो गया। कल तक सदन से लेकर सड़क तक मुख्यमंत्री यह कहते नहीं थकते थे कि ‘जो पीएगा वो मरेगा”, लेकिन आज अचानक जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर सीएम ने बड़ा एलान कर दिया। सीएम नीतीश ने अचानक एलान कर दिया कि शराब पीने से मरने वाले लोगों के परिजनों को सरकार चार-चार लाख रुपए का मुआवजा देगी। नीतीश के इस एलान के बाद अब सियासत भी शुरू हो गई है। बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने हमला बोलते हुए कहा कि अब नीतीश कुमार कानून में भी पलटी मारने लगे हैं, बीमार हो चुके नीतीश को जितनी जल्दी हो सके इस्तीफा दे देना चाहिए।


बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराब से हो रही मौतों को लेकर सदन में कहा था कि इसको लेकर वे सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे लेकिन नीतीश कुमार सिर्फ अपना चेहरा चमकाने में लग गए हैं। नीतीश कुमार को लोकतंत्र से कोई मतलब नहीं है। पलटू कुमार तो वे पहले से थे ही अब सारे कानून में भी पलटी मारने का काम कर दिया है। चंपारण में जहरीली शराब पीने से 30 से अधिक लोगों की मौते हो चुकी हैं। इस मामले में सिर्फ छोटे-छोटे पदाधिकारी के ऊपर कार्रवाई हुई लेकिन इसके लिए तो डीजीपी, गृह सचिव और मुख्य सचिव को दोषी मानना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए। मुख्यमंत्री खुद गृह मंत्री भी है इसलिए उनको इस्तीफा देना चाहिए।


सम्राट चौधरी ने सरकार से पूछा है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू है तो आखिर शराब बन और बिक कैसे रही है। बिहार में जहरीली शराब पीने से लोग मर रहे हैं तो इसके लिए सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिम्मेवार हैं। बिहार में शराब बिक रही है तो सिर्फ नीतीश कुमार दोषी हैं। सम्राट चौधरी ने पूछा है कि मुख्यमंत्री बताएं कि आखिर जहरीली शराब पीने से बिहार में और कितने लोगों की मौत होगी। जहरीली शराब पीने से बिहार में अबतक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है और नीतीश-तेजस्वी की सरकार सिर्फ आंकड़े छिपाने का काम करती है।


उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से बिहार नहीं चल पा रहा है। बीमार हो चुके नीतीश कुमार को थोड़ा आराम करने की जरूरत है। बिहार में शराबबंदी का सभी पार्टियों ने समर्थन किया था। स्वयं जो कानून बनाए उसका पालन भी नहीं करा पा रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री के पास सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह जाता है।