PATNA : बिहार में महागठबंधन की नई सरकार के गठन के साथ ही राज्य के नए कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह को लेकर जो विवाद शुरू हुआ है उसका अंत कैसे होगा यह बड़ा सवाल बना हुआ है। दरअसल मंत्री कार्तिकेय सिंह के ऊपर अपराधिक मामलों को लेकर बीजेपी नीतीश कुमार को घेर रही है। मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग भी है लिहाजा नीतीश सबसे ज्यादा निशाने पर हैं। हालांकि अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर मंत्री कार्तिकेय सिंह अपनी सफाई दे चुके हैं लेकिन बुधवार की शाम लालू यादव के पटना पहुंचने पर मंत्री कार्तिकेय सिंह उनसे मिलने पहुंचे थे। अब सवाल यह है कि क्या सरकार को इस पहले संकट से उबारने के लिए लालू कार्तिकेय सिंह को इस्तीफा देने के लिए कहेंगे?
राज्य सरकार में कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह मंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही विवादों में घिर गए थे। कार्तिकेय सिंह मोकामा के पूर्व आरजेडी विधायक बाहूबली अनंत सिंह के करीबी माने हैं। अपहरण के एक मामले में जांच के दौरान उन्हें अभियुक्त बनाया गया था। इसी मामले में मंगलवार यानी 16 अगस्त को कोर्ट में उनकी पेशी होनी थी। लेकिन आरोप यह लगा की वह कोर्ट में हाजिरी नहीं देकर राजभवन मंत्री पद की शपथ लेने चले गये थे। कोर्ट ने इस मामले में उनके खिलाफ 19 जुलाई को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। कार्तिकेय सिंह पर और भी कई मामले दर्ज हैं। हालांकि पुलिस ने किसी मामले में अब तक उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की है। आरोप लगने के बाद कार्तिकेय सिंह की तरफ से यह बताया गया की उनकी गिरफ्तारी पर एक निचली अदालत ने आगामी एक सितंबर तक रोक लगा रखी है।
मंत्री कार्तिकेय सिंह की पेशी के ताजा मामले को लेकर अदालत की तरफ से जारी वारंट पर सियासी विवाद भी गहरा जा रहा है। बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने इस बात पर सवाल खड़ा किया है की आखिर कार्तिकेय सिंह को जब हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली तो निचली अदालत ने राहत कैसे दे दी। हाईकोर्ट को इसकी जांच करनी चाहिए। इस मामले में पूर्व डिप्टी सुशील मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कार्तिकेय सिंह को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है। कार्तिकेय सिंह के भविष्य को लेकर अब अंतिम फैसला लालू यादव और तेजस्वी यादव को ही करना है क्योंकि सियासी गलियारे में चर्चा है कि नीतीश कुमार ने गेंद आरजेडी के पाले में डाल दी है।