PATNA : नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद से कार्तिक कुमार को लेकर राजनितिक गलियारों में बवाल मचा हुआ है। कानून मंत्री कार्तिकेय कुमार अपहरण के एक मामले में फरार घोषित हैं। उनके खिलाफ वारंट जारी किया गया है। विधि मंत्री कार्तिकेय कुमार के अधिवक्ताओं ने इस मामले को लेकर आज 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की और पूरे मामले की जानकारी दी।
कानून मंत्री कार्तिक कुमार के वकीलों ने कहा कि मंत्री कार्तिक सिंह के फरार होने की जो खबरें चल रही हैं वह बेबुनियाद है। भारतीय संविधान के तहत आपराधिक मुकदमे दो तरह से होते है। पहला मुकदमा जो पुलिस जांच में होता है और दूसरा मुकदमा मजिस्ट्रेट के यहां कंप्लेंन केस होता है। वकीलों ने कहा कि स्पष्ट तौर पर कहता हूं कार्तिक कुमार नामजद अभियुक्त नहीं हैं।
जो प्राथमिकी दर्ज की गई है उसमें कार्तिक कुमार की संलिप्तता बताई नहीं गई है। पुलिसिया जांच में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पूरे मामले में कार्तिक मास्टर के खिलाफ कहीं से भी कोई साक्ष्य नहीं है। अधिवक्ताओं ने कहा कि अंतिम पत्र समर्पित किया गया जिसमें उन्हें निर्दोष पाया गया है। उनके खिलाफ बेलेबल वारंट जारी किया गया था जिसे फिलहाल स्टे मिल गया है। न्यायालय से कोई भी ऐसी नोटिस नहीं मिली जिसमें यह बताया गया हो कि उन्हें 16 अगस्त को पेश होना था।
गौरतलब है कि 16 अगस्त को नीतीश कैबिनेट का विस्तार हुआ था। जिसमें आरजेडी के 16, जेडीयू के 11, कांग्रेस के 2 और हम के एक और एक निर्दलीय विधायक मंत्री बने हैं। इस दौरान कार्तिकेय कुमार ने विधि मंत्री के तौर पर पद और गोपनियता की शपथ ली थी। इसके साथ ही आरजेडी से तेज प्रताप यादव,आलोक मेहता, सुरेंद्र प्रसाद यादव, रमानंद यादव, कुमार सर्वजीत, ललित यादव, समीर कुमार, चंद्रशेखर, जितेंद्र कुमार राय, अनीता देवी, सुधाकर सिंह, इसराइल मंसूरी, सुरेंद्र राम, शहनवाज आलम, शमीम अहमद ने भी मंत्री पद की शपथ ली।
वहीं जेडीयू कोटे के मंत्रियों की बात की जाए तो इसमें विजय कुमार चौधरी, बिजेंद्र यादव, श्रवण कुमार, अशोक चौधरी, लेसी सिंह, संजय झा, मदन सहनी, शीला कुमारी, सुनील कुमार,मोहम्मद जमा खान, जयंत राज शामिल हैं। कांग्रेस से आफाक आलम, मुरारी गौतम, हम से संतोष कुमार और सुमित कुमार सिंह निर्दलीय कैबिनेट में शामिल हुए थे।
गौरतलब है कि आरजेडी विधायक और नए कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के खिलाफ कोर्ट में सरेंडर करने का वारंट जारी किए जाने की खबर सामने आई थी। जिसमें कोर्ट में सरेंडर करने की जगह उन्होंने कानून मंत्री के लिए शपथ ले ली। मिली जानकारी के अनुसार 2014 में राजीव रंजन को अगवा कर लिया गया था। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए कार्तिकेय सिंह के खिलाफ कोर्ट ने वारंट जारी किया गया। यह भी बात सामने आई कि कार्तिकेय सिंह ने अभी तक ना तो कोर्ट के सामने सरेंडर किया है ना ही जमानत के लिए अर्जी दी।
मामला सामने आने के बाद कार्तिकेय कुमार ने अपनी सफाई पेश की। उन्होंने कहा है कि हलफनामा में सभी मंत्री, विधायक अपना डिटेल देते हैं। इसमें इस तरह की कोई बात सामने नहीं आई है। बाकी जो लोग बोलते हैं, उन्हें बोलने दीजिये। अब कानून मंत्री कार्तिकेय कुमार के वकीलों ने बुधवार की शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस मामले पर अपनी बातें रखी। कहा कि कार्तिक मास्टर के खिलाफ कहीं से भी कोई साक्ष्य नहीं है। अधिवक्ताओं ने कहा कि अंतिम पत्र समर्पित किया गया जिसमें उन्हें निर्दोष पाया गया है। उनके खिलाफ बेलेबल वारंट जारी किया गया था जिसे फिलहाल स्टे मिल गया है। न्यायालय से कोई भी ऐसी नोटिस नहीं मिली जिसमें यह बताया गया हो कि उन्हें 16 अगस्त को पेश होना था।