PATNA: रमजान के महीने में सियासी इफ्तार का दौर बिहार में चल रहा है। महागठबंधन के घटक दलों द्वारा लगातार दावत-ए-इफ्तार का आयोजन किया जा रहा है। बीते दिनों एक अणे मार्ग स्थित आवास पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रोजेदारों के लिए इफ्तार का आयोजन किया। जिसके बाद जेडीयू और आरजेडी ने भी इफ्तार का आयोजन किया था।
नीतीश-तेजस्वी के बाद अब जीतनराम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) ने दावत-ए-इफ्तार का आयोजन किया। जीतनराम मांझी के आवास पर आयोजित इफ्तार पार्टी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत महागठबंधन के कई नेता शामिल हुए। वही सैकड़ों रोजेदार भी इफ्तार के लिए मांझी आवास पहुंचे। इस मौके पर जीतन राम मांझी ने कहा कि यह कोई फैसले की घड़ी नहीं है। हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ चट्टान की तरह खड़े हैं। जब तक नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ हैं। हम भी महागठबंधन के साथ रहेंगे। मुख्यमंत्री अगर महागठबंधन का साथ छोड़ते हैं तो हम भी नीतीश कुमार के साथ ही हो जाएंगे।
इफ्तार पार्टी से पहले जीतन राम मांझी ने अपनी पार्टी हम के नेताओं की बैठक बुलायी थी. बैठक में मांझी ने कहा कि “महागठबंधन में हम पर बहुत दवाब है. सभी कह रहे हैं कि हमारे साथ आइये. स्पष्टता हमारी कमजोरी रही है. आप सब लोगों ने देखा होगा कि नीतीश कुमार ने पूर्णिया की रैली में चिल्ला-चिल्ला कर कहा था कि मांझी जी कहीं नहीं जाइये. यहीं रहिये. हमही सब कुछ देंगे. हमही आपको सब कुछ बनायेंगे. लेकिन क्या हुआ.”
जीतन राम मांझी ने अपनी पार्टी के नेताओं को कहा-“ हम लोगों को निर्णय लेना होगा. निर्णय की घडी आ चुकी है. क्या करना है, इस पर हम पार्टी की कोर कमेटी में चर्चा करेंगे. वैसे, कुछ लोग चाहते हैं कि हमारी पार्टी का विलय हो जाये लेकिन हमारे कार्यकर्ता नहीं चाहते कि किसी दूसरे दल में विलय हो.”
जीतन राम मांझी ने इशारों में काफी बातें कह दी. उन्होंने कहा वे सरकार के गलत फैसलों के खिलाफ आंदोलन करने को तैयार हैं. जब राजस्थान में सचिन पायलट अशोक गहलोत के खिलाफ अनशन कर सकता है तो जीतन राम मांझी नीतीश कुमार के खिलाफ अनशन क्यों नहीं कर सकता. बिहार सरकार अगर कोई गलत फैसला ले रही है तो जीतन राम मांझी उसके खिलाफ आवाज उठायेंगे.
बता दें कि 6 दिन पहले जीतन राम मांझी ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. उसके बाद से ही मांझी के पाला बदलने की चर्चा आम है. हालांकि मांझी ने कहा था कि वे दशरथ मांझी को भारत रत्न देने की मांग को लेकर अमित शाह से मिलने गये थे. मांझी ने कहा था कि वे कसम खा चुके हैं कि नीतीश कुमार का साथ नहीं छोडेंगे. लेकिन 6 दिन बाद ही अपनी पार्टी की बैठक में मांझी ने अलग राग छेड़ दिया है. जाहिर है देश भर में विपक्षी एकता कायम करने निकले नीतीश के घर में सेंध लगती दिख रही है.